थलीसैंण के जल्लू गांव से शुरू हुई अभिनव पहल, ग्रामीण उद्यम वेग परियोजना से काश्तकाराें को मिली दोगुनी कीमत–
पौड़ी: पौड़ी जनपद के काश्तकारों को अभी तक आलू के लिए बीज के लिए हिमाचल प्रदेश या अन्य जनपदों की दौड़ लगानी पड़ती थी, लेकिन अब काश्तकारों को अपने जनपद में ही आलू के बीज उपलब्ध हो जाएंगे। इतना ही नहीं, काश्तकारों द्वारा उत्पादित आलू को उद्यान विभाग खरीदेगा। काश्तकारों को रुपये का भुगतान भी तत्काल किया जा रहा है। इसके अलावा आलू बीज बेचने का सीधा फायदा ग्रामीणों के फ़ेडरेशन को भी हो रहा है। यह अभिनव पहल थलीसैंण के जल्लू गांव में की गई है। यह सब संभव हुआ है सरकार की ओर से आजीविका बढ़ाने के लिए शुरू की गई परियोजनाओं से। अब यह प्रोजेक्ट थलीसैंण के अलावा अन्य ब्लॉकों में चलाया जाएगा ।
उत्तराखण्ड राज्य में पहाड़ी आलू का उत्पादन अनेक क्षेत्रों में वर्षों से किया जाता रहा है। हालांकि बाजार में पहाड़ी आलू का दाम उचित होने के बावजूद उत्पादन करने वाले किसान तक यह लाभ नहीं पहुंच पाता है। इसकी वजह कृषि अवसंरचनाओं की कमी और मार्केटिंग का अभाव है। जिससे कि छोटे व सीमांत किसान उचित लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
पौड़ी जनपद का थलीसैण विकास खंड ऐसा ही एक क्षेत्र है जहां पर छोटे किसान अपनी सीमित जोत आलू का उत्पादन करते आये हैं। लेकिन 6 से 8 महीनों के कठिन परिश्रम के बाद भी उन्हें आलू का 12-15 रूपये प्रति किलोग्राम ही मूल्य प्राप्त होता रहा है। ऐसे में किसानों की आमदनी को दोगुना करने हेतु आलू बीज उत्पादन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को शुरू किया गया।
गौरतलब है कि राज्य का अधिकांश भूभाग पहाड़ी होने के कारण यहां की जलवायु व मौसम आलू बीज उत्पादन के लिए अत्यन्त अनूकूल है। राज्य में उद्यान विभाग को प्रतिवर्ष लगभग 15,000 क्विंटल आलू बीज की जरुरत पड़ती है। जिसके सापेक्ष लगभग 7000 क्विंटल आलू बीज ही उत्तराखंड में उत्पादित होता है और लगभग 8000 क्विंटल आलू बीज बाहर के राज्यों से क्रय किया जाता है। जिसमें से मुख्यतः हिमाचल से आलू का प्रमाणित बीज क्रय कर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। उत्तराखण्ड में आलू बीज उत्पादन केवल पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तथा उधमसिंह नगर के काशीपुर में किया जाता है। उद्यान विभाग 38-40 रुपये प्रतिकिलो की दर से आलू बीज क्रय करता है। जो कि पहाड़ी आलू उत्पादकों को मिलने वाले दाम से कम से कम दोगुना अधिक है। इसलिए राज्य में उद्यान विभाग में प्रमाणित आलू बीज हेतु एक रेडी मार्केट उपलब्ध है, जो न सिर्फ किसानों को अच्छा दाम उपलब्ध करा सकते हैं, साथ ही राज्य में आलू बीज उत्पादन से अन्य राज्यों पर बीज हेतु निर्भरता भी समाप्त हो सकती है।
इसे देखते हुए जल्लू गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अन्तर्गत प्रेरणा आलू बीज उत्पादक फैडरेशन का गठन किया गया। इसके माध्यम से आलू उत्पादक किसानों को संगठित किया गया। परियोजना के प्रथम चरण में जल्लू गांव में 51 किसानों के साथ 3.72 हेक्टेअर भूमि पर रीप (ग्रामीण उद्यम वेग परियोजना), उद्यान विभाग, कृषि विभाग तथा ब्लॉक कार्यालय के सहयोग से आलू बीज उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया। परियोजना के तहत 100 क्विंटल कुफरी ज्योति प्रजाति का आलू बीज बोया गया। किसानों को आधुनिक कृषि पद्धति से परिचित कराने एवं तकनीकी रुप से दक्ष बनाने के लिए उन्हे सीपीआरआई शिमला में प्रशिक्षण दिलाया गया।
परियोजना में में विभिन्न हितभागी विभागों की ओर से सहयोग किया गया। जिसमें कृषि विभाग से फसल सुरक्षा हेतु फैंसिग, आत्मा योजना से सिंचाई हेतु जियो टैंक, उद्यान विभाग के माध्यम से आलू बीज, दवाईयां व सोलर कोल्ड स्टोर तथा भरसार औद्यानिकी विश्वविश्वद्यालय के माध्यम से किसानों को खेत तैयार करने बीमारी की रोकथाम व उपचार, फसल प्रबंधन व सतत तकनीकी सहयोग व मार्गदर्शन उपलब्ध करवाया गया। बीज प्रमाणीकरण से संबंधित समस्त प्रक्रिया रीप और एनएलआरएम के माध्यम से पूर्ण की गई।
पौड़ी के मुख्य विकास अधिकारी अपूर्वा पांडेय ने कहा कि राज्य में आलू के बीज की बहुत डिमांड है। जल्लू गांव में पारंपरिक तरीके से आलू का उत्पादन किया जा रहा था। लेकिन किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहा था। जल्लू बीज सप्लाई में सक्षम हो जाएगा। डीपीएम रीप कुलदीप बिष्ट ने कहा कि जल्लू गांव में आलू बीज रोपने के बाद चार से पांच गुना उत्पादन हुआ है। ग्रेडिंग के बाद आलू बीज स्टोर किया गया है। बचे हुए आलू को काश्तकारों ने बेचा है। फेडरेशन ने लाभांश लेकर उद्यान विभाग को बीज बेचा है। जल्लू के ग्राम प्रधान अमर सिंह नेगी ने कहा कि योजना में हाथों हाथ पैसा मिल रहा है। साथ ही दोगुनी कीमत मिल रही है।