देहरादून: उत्तराखंड में जल्द सभी को एक समान अधिकार मिल सकेगा। बेटा-बेटी और महिला-पुरुष के बीच भेदभाव भी खत्म हो जाएगा। जल्दी ही राज्य में समान नागरिक संहिता अधिनियम के रुप में राज्य में लागू हो जाएगी। आज प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में समान नागरिक संहिता का मसौदा रखा जाएगा। शुक्रवार को यूसीसी के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसका मसौदा सौंप दिया है। यह मसौदा 740 पृष्ठों की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पांच फरवरी से राज्य विधानसभा के सत्र में विस्तृत ड्राफ्ट रिपोर्ट पर सभी दलों से चर्चा कर, इसे अधिनियम के रुप में तैयार कर राज्य में लागू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो वर्ष पूर्व 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले हमने भाजपा के संकल्प के अनुरूप राज्य की जनता से समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था, विधिक परीक्षण कराने के बाद इसे विधेयक बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। समान नागरिक संहिता के लिए लड़ने वाली अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड में यह एतिहासिक काम होगा। आज भी देश में बहुत सारी कुरीतियां हैं, जो अब खत्म हो जाएंगी।
इस अधिनियम के लागू होने के बाद प्रदेश में पत्नी के जीवित होते हुए एक से अधिक शादी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। राज्य को बहु विवाह की कुप्रथा से छुटकारा मिल जाएगा। लड़कियों को बराबरी का अधिकार मिल जाएगा। माता-पिता की संपति और वसीयत में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार मिलेगा। बाल विवाह से मुक्ति मिल जाएगी, तलाक का तरीका भी समान हो जाएगा।