सरकारी फाइलों में दबी है दुर्मीताल के विकास की योजना, 1971 में टूट गया था दुर्मीताल, यहां चलती थी अंग्रेजों की नाव–
गोपेश्वर (चमोली): निजमुला घाटी में स्थित दुर्मीताल को विकसित करने की सरकारी योजना फाइलों से बाहर नहीं आ पाई। यहां पर कई साल पहले वीरगंगा पर प्राकृतिक रूप से एक ताल बन गया था। अंग्रेजी राज में यहां नाव भी चलती थी। 1971 की आपदा में यह ताल टूट गया।
2020 में क्षेत्र के लोगों ने इसके पुनरुद्धार की योजना बनाई। जमीन में दबी पुरानी नाव को भी खोदकर बाहर निकाला। तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2021 में गैरसैंण बजट सत्र के दौरान इस ताल के पुनुरुद्धार की घोषणा की थी। लेकिन सीएम बदलने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इस अभियान का नेतृत्व करने वाले मोहन नेगी का कहना है कि हम आज भी इसके लिए प्रयासरत हैं।
यह ताल बन जाता तो इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां बढ़ जाती। क्षेत्र का विकास होता और स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिलते। यह क्षेत्र लार्ड कर्जन ट्रैक का भी रास्ता है। इसी ट्रैक पर तड़ाक ताल, सप्त कुंड, दुग्ध कुंड भी स्थित हैं, जो काफी ऊंचाई पर हैं। दुर्मी ताल तक पहुंचने के लिए चमोली के पास बदरीनाथ हाईवे पर बिरही से सड़क बनी हुई है। करीब 13 किमी दूर दुर्मी गांव के पास यह ताल स्थित है।