फूल मालाओं से भरा शिक्षिका का गला, गांव से दूर तक छोड़ने भी गए ग्रामीण, शिक्षिका भी सभी से गले मिलकर फूट-फूटकर रोयी–
पीपलकोटी(चमोली): 16 सालों तक विद्यालय में शिक्षिका, मां, बहन के रुप में बच्चों को संस्कार, पठन-पाठन और जीवन जीने की सीख देने वाली शिक्षिका के जब स्थानांतरण का दिन आया तो पूरा गांव रोया। ग्रामीण शिक्षिका के गले मिलकर फूट-फूटकर रोए, क्या बच्चे, क्या बूढ़े, शिक्षिका की विदाई पर सबकी आंखें नम हो गई। शिक्षिका भी दो कमद आगे जाकर फिर पीछे लौटकर स्कूली बच्चों को गले से लगाकर फूट-फूटकर रोने लगी। ऐसा लग रहा था, मानों ग्रामीण अपनी बेटी को विदा कर रहे हैं।
दशोली विकास खंड के स्यूण गांव के राजकीय जूनियर हाईस्कूल में 16 वर्षों तक सेवा देने के बाद शिक्षिका विजया पंखोली का दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण हो गया। जब शिक्षिका का विद्यालय में विदाई समारोह आयोजित हुआ तो पूरा गांव उमड़ कर आया। हर एक सख्त की आंखों में आंसू थे। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षिका ने हमारे बच्चों को संस्कारों की शिक्षा दी है। कहा कि
जहां पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में आज शिक्षक जाने से कतराते हैं ऐसे में शिक्षिका विजया पंखोली ने उनके दूरस्थ विद्यालय में 16 साल की सेवाएं दी। वे बच्चों के साथ मां, बहन और दोस्त जैसा व्यवहार कर पढ़ाती थीं। शिक्षिका ने हमेशा अच्छे गुरु होने की सभी नैतिक जिम्मेदारियाें का पूरी प्रतिबद्धता से पालन किया।