अनूठी परंपरा: इस मंदिर में बहनें भगवान विष्णु को रक्षासूत्र बांधने के बाद बांधती हैं भाईयों की कलाई पर राखी —

by | Aug 18, 2024 | चमोली, संस्कृति | 0 comments

चमोली जनपद में ​स्थित है यह प्राचीन मंदिर वंशीनारायण, पढ़ें क्यों शुरू हुई भगवान को राखी बांधने की परंपरा–

विशेष रिपोर्ट——

जोशीमठ (चमोली): उत्तराखंड के चमोली जनपद में एक ऐसा मंदिर ​स्थित है जिसके कपाट सिर्फ रक्षाबंधन पर्व पर ही एक दिन के लिए खुलते हैं। मंदिर में वि​भिन्न क्षेत्रों से बहनें पहुंचती हैं और मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं।

भगवान बंशीनारायण की चतुर्भुज मूर्ति-

चमोली जनपद के उर्गम घाटी में उर्गम गांव से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन वंशीनारायण मंदिर स्थित है। बताते हैं कि पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था।

रक्षाबंधन के दिन कलगोठ गांव के ग्रामीण भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना संपन्न करते हैं। इस वर्ष मां नंदा के पुजारी हरीश रावत मंदिर में विभिन्न पूजाएं आयोजित करेंगे। भगवान को भक्तों की ओर से हलवा, दूध, मक्खन के साथ ही स्थानीय उत्पादों का भोग लगाया जाता है। उर्गम गांव के पूर्व ग्राम प्रधान लक्ष्मण​ सिंह रावत ने बताया कि रक्षाबंधन पर वंशीनारायण मंदिर में बहनें भगवान को रक्षासूत्र बांधने पहुंचती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

यह है मंदिर की मान्यता—

मान्यता है कि, देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु ने वामन रुप धारण कर दानवीर राजा बलि का घमंड चूर किया था। तब राजा बलि ने पाताल में जाकर विष्णु भगवान की कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने बलि को वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उन्हें अपने द्वारपाल बनने का आग्रह किया था, जिसे भगवान ने स्वीकार कर लिया और वे राजा बलि के साथ पाताल लोक में चले गए। कई दिनों तक जब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को कहीं नहीं पाया, तो उन्होंने महर्षि नारद के सुझाव पर श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भगवान विष्णु को मुक्त करने का आग्रह किया। इसके बाद, राजा बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ इसी स्थान पर मिलवाया था।

error: Content is protected !!