पढ़ें क्या क्या प्रक्रियाएं होंगी आयोजित। गेंदे के फूलों से सजाया जा रहा बदरीनाथ धाम, माता लक्ष्मी को चढ़ाया कढ़ाई भाेग–
बदरीनाथ 16 नवंबर 2024: शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रियाएं अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है। रविवार को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। पंच पूजाओं के चौथे दिन शनिवार को रावल अमरनाथ नंबूदरी ने माता लक्ष्मी को बदरीनाथ गर्भगृह में विराजमान होने के लिए आमंत्रण दिया। साथ ही माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग लगाया गया।
पंच पूजाओं के तहत माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की गई। दोपहर को रावल अमरनाथ नंबूदरी, धार्मधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, अमित बंदोलिया, लक्ष्मी मंदिर के पुजारी सुधीर डिमरी, अरविंद डिमरी ने माता लक्ष्मी को कढ़ाई भोग अर्पित किया।
बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय थपलियाल ने बताया कि बदरीनाथ मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है। कपाट बंद होने को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बीकेटीसी के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि रविवार को सुबह ब्रह्म मुहुर्त पर चार बजे मंदिर खुलेगा। पूर्व की भांति साढ़े चार बजे अभिषेक पूजा होगी और दिन का भोग पूर्व की भांति लगेगा। मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करते रहेंगे। साथ ही मंदिर को दिन में बंद नहीं किया जाएगा। अपराह्न छह बजकर 45 मिनट पर शांयकालीनपूजाएं शुरू होंगी।
सात बजकर 45 मिनट पर रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी मंदिर से बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश कराएंगे। सभी देवताओं की पूजा अर्चना व आरती के बाद उद्धव जी व कुबेर जी को गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा। रात आठ बजकर 10 मिनट पर शयन आरती होगी। उसके बाद कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। माणा गांव की महिलाओं द्वारा तैयार घृत कंबल ओढाकर और अखंड ज्योति जलाकर रात ठीक नौ बजकर सात मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।