बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ चारधाम यात्रा का भी हुआ समापन, बामणी गांव में विराजमान हुए कुबेर जी–
बदरीनाथ 17 नवंबर 2024: रात में बिजली की दूधिया रोशनी में देश के चार धामों में सर्वश्रेष्ठ बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। जय बदरीविशाल के उदघोष के साथ रात्रि 9 बजकर 7 मिनट पर शीतकाल के लिए बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं।
कपाट बंदी के लिए बदरीनाथ धाम को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। यात्रा के अंतिम दिन करीब 10 हजार श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए। इस वर्ष चारधाम यात्रा में 48 लाख श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचे।
रविवार को प्रात:काल साढ़े चार बजे बदरीनाथ की अभिषेक पूजा शुरू हुई। बदरीनाथ का तुलसी और हिमालयी फूलों से श्रृंगार किया गया। अपराह्न छह बजकर 45 मिनट पर बदरीनाथ की शांयकालीन पूजाएं शुरू हुई। दिनभर बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले रहे।
देर शाम सात बजकर 45 मिनट पर रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता को बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश कराया। बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह) में सभी देवताओं की पूजा अर्चना व आरती के बाद उद्धव जी व कुबेर जी की प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लाया गया। रात आठ बजकर 10 मिनट पर शयन आरती हुई। उसके बाद कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई।
रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट व अमित बंदोलिया ने कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की। रात सवा आठ बजे माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल को बदरीनाथ भगवान को ओढाया गया और अखंड ज्योति जलाकर रात ठीक नौ बजकर सात मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के दौरान बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय के साथ ही कोटद्वार विधायक दिलीप रावत, ज्योतिर्मठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिलाधिकारी संदीप तिवारी, बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल, मंदिर समिति के सदस्य वीरेंद्र असवाल, पुष्कर जोशी, भास्कर डिमरी, एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ, प्रभारी अधिकारी विपिन तिवारी के साथ ही हक-हकूकधारी मौजूद रहे।