ओलंपियन मनीष रावत के बाद एक के बाद एक खिलाड़ीवॉक रेस में गाड़ रहे कामयाबी के झंडे
खेल कोटे से दो खिलाड़ियों को मिल चुकी सरकारी नौकरी, कई अन्य खिलाड़ी लाइन पर
गोपेश्वर,11 मई 2025: चमोली जनपद में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज बैरागनावॉक रेस की पाठशाला बनकर उभर रही है। विद्यालय में एक के बाद एक छात्र वॉक रेस में राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी के झंडे गाड़ रहे हैं। अभी तक इस विद्यालय के छह छात्र और एक छात्रा ने वॉक रेस को अपना करियर बनाया है।
ओलंपियन मनीष रावत और परमजीत सिंह को खेल कोटे से सरकारी नौकरी मिली है। जबकि अन्य खिलाड़ियों को भी नौकरी मिलनी तय है।
चमोली-मंडल-ऊखीमठ हाईवे पर मंडल घाटी में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज बैरागना के छात्र-छात्राएं वॉक रेस को अपना करियर बना रहे हैं। वर्ष 2004 में विद्यालय के छात्र मनीष रावत ने सबसे पहले वॉस रेस में प्रतिभाग किया था। राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के बाद मनीष ने 2016 में उत्तराखंड के पहले वॉक रेसर के रुप में रियो ओलंपिक में प्रतिभाग किया था।
राष्ट्रीय स्तर की वॉक रेस में कई बार मनीष को गोल्ड मेडल प्राप्त हैं। मनीष को राज्य सरकार ने खेल कोटे से पुलिस विभाग में नौकरी दी। इसके बाद बैरागना के ही छात्र परमजीत सिंह ने वर्ष 2021 में एशियन यूथ में हॉगकॉग में ब्रांच मेडल, खेलो इंडिया में गोल्ड मेडल हासिल किया था। परमजीत ने 2024 में
वॉक रेस में पेरिस ओलंपिक में प्रतिभाग किया था। उसे भी खेल कोटे से नेवी में जॉब मिली है। इसके अलावा विद्यालय के आदित्य नेगी, अमन ठाकुर, ईशा बर्त्वाल और रितुल परिहार भी वॉक रेस में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। छात्रा ईशा बर्त्वाल ने 2022 में नार्थ जोन जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल जीता था।
राइंकाबैरागना के शारीरिक शिक्षक गोपाल बिष्ट विद्यालय के वॉकरेसरों को तराश रहे हैं। उनके सानिध्य में ही वॉक रेसर अपनी प्रतिभा के झंडे गाड़ रहे हैं। शिक्षक गोपाल बिष्ट द्वारा खिलाड़ियों को वॉक रेस की बारीकियां समझाने के साथ ही उन्हें गोपेश्वर खेल मैदान में रेस का प्रशिक्षण दिया जाता है। वे विद्यालय की छुट्टी होने के बाद अपने वाहन में खिलाड़ियों को गोपेश्वर खेल मैदान लाते हैं और उन्हें वॉक रेस की कड़ी मेहनत करवाते हैं। निर्धन परिसर के खिलाड़ियों को शिक्षक गोपाल बिष्ट आर्थिक मदद भी देते हैं। बैरागना विद्यालय का 12वीं का छात्र राहुल भी वॉक रेस का प्रशिक्षण ले रहा है। वह हाल ही में राष्ट्रीय स्तर की वॉक रेस खेलकर आया है।
जूहा स्कूल नैग्वाड़ (गोपेश्वर) की छात्रा रही मानषी नेगी ने भी वॉक रेस को अपना करियर बनाया। मानषी ने 2018 में दिल्ली में खेलो इंडिया में गोल्ड मेडल हासिल किया था। मानषी को 2016 से शिक्षक गोपाल बिष्ट ने ही वॉक रेस का प्रशिक्षण दिया था। मानषी को खेल कोटे से रेलवे में नौकरी मिली है। वहीं, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज गोपेश्वर की शालनी नेगी ने भी 2024 में उत्तराखंड में हुए राष्ट्रीय खेलों में वॉक रेस में प्रतिभाग कर 10 किमी रेस में सिल्वर मैडल हासिल किया था। शालनी को भी खेल कोटे से सरकारी नौकरी दिए जाने की तैयारी है।
वॉकरेसरों को गोपेश्वर खेल मैदान में प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण सुबह पांच से सात बजे तक और अपराह्न चार से रात आठ बजे तक दिया जाता है। प्रशिक्षण में ही शैड्यूल तैयार किया जाता है कि कौन किस स्तर का खिलाड़ी है। फिर उन्हें खेलों के लिए तैयार किया जाता है। हमारे खिलाड़ियों में हमेशा आगे बढ़ने की ललक रही है। खेलों के प्रति लगाव और जुनून होना जरुरी है। वॉक रेस में उत्तराखंड से चमोली और देहरादून के बच्चे अधिक प्रतिभाग करते हैं।
गोपाल बिष्ट, व्यायाम शिक्षक, राइंका बैरागना, चमोली