पंचायत चुनाव पर लगी रोक हटी, अब गांवों की सरकार बनाने के लिए जोरआजमाईश हुई शुरु, पढ़ें न्यायालय का आदेश–
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर विभिन्न याचिकाओं पर शुक्रवार 27 जून को सुनवाई की। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चुनाव को लेकर बड़ा फैसला दिया। न्यायालय ने चुनाव पर लगी रोक हटा दी है। राज्य निर्वाचन आयोग से पूर्व में जारी चुनाव कार्यक्रम को तीन दिन आगे बढ़ाते हुए चुनाव कार्यक्रम जारी करने के आदेश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने सरकार को याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों पर तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। न्यायायल ने यह भी आदेश दिए कि अगर किसी प्रत्याशी को इसमें आपत्ति है तो वह न्यायालय में अपना पक्ष रख सकता है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में ब्लॉक प्रमुख सीटों का आरक्षण निर्धारित करने व जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण निर्धारित न करने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए। कोर्ट को बताया गया कि ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव एक ही तरह से होता है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से आरक्षण रोस्टर में कई सीटों के लंबे समय से एक ही वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलने का उल्लेख करते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 243 व सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए आदेशों के खिलाफ बताया।
महाधिवक्ता व मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखते हुए बताया कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना व वर्तमान पंचायत चुनाव को प्रथम चरण माना जाना आवश्यक था। वहीं, न्यायायल के आदेश के बाद अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर चहल-पहल शुरु हो गई है। गांवों की सरकार बनाने के लिए कई लोग पहले ही सोशल मीडिया पर अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं।