गोपेश्वर। विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के प्रभावित हाट गांव के परिवारों को अपनी थाती-माटी से बिछुड़ने पर रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीण अब मलबे में अपनी कीमती चीजों की ढूंढखोज कर रहे हैं। टीएचडीसी ने उनके मकान तो तोड़ दिए हैं, लेकिन उन्हें दर-दर भटकने को मजबूर कर दिया है। दरअसल, हाट गांव के 16 परिवारों ने अपने आवासीय मकान नहीं छोड़े थे। उनकी मांग है कि जिस स्थान पर उन्हें पुनर्वास किया जा रहा है, वहां सड़क, पानी, बिजली, मठ-मंदिरों के सौंदर्यीकरण सहित विभिन्न सुविधाएं दी जाएं, लेकिन टीएचडीसी ने बिना ग्रामीणों की सुने उनके मकानों पर जेसीबी लगा दी। हाट गांव के ग्राम प्रधान राजेंद्र हटवाल ने कहा कि टीएचडीसी ने अधिकारियों को गुमराह किया है। जेसीबी ने गांव में बगड़वाल देवता का मंदिर भी तोड़ दिया है। नर्वदा देवी का इकलौता बेटा फौज में है। उसकी अब शादी थी। शादी के लिए संदूक में जेवर रखे थे, और दो लाख रुपये की नगदी थी। सब मलबे में दफन हो गया है। गांव के 66 साल के गुप्ता प्रसाद अब अकेले पड़ गए हैं। उनकी शादी नहीं है। वे अब अकेले हो गए हैं। इस ध्वस्तीकरण से 10 परिवार बेघर हो गए हैं। जिलाधिकारी चमोली ने भी हमारी कोई मदद नहीं की। जबकि उन्होंने मांगों पर वार्ता करने के बाद ही मकानों को हटाने का आश्वासन दिया था। गांव में ग्रामीण अपने पित्रों को तर्पण दे रहे थे, कोई तर्पण देने की तैैयारी में था, लेकिन अचानक गांव में जेसीबी और भारी संख्या में पुलिस बल आया और देखते ही देखते मकानों को ध्वस्त कर दिया। ग्रामीणों को संभलने तक का मौका नहीं दिया गया। टीएचडीसी मुआवजे के नाम पर 10 लाख रुपये दे रही है। किसी के चार भाई हैं। यह रकम मकान बनाने के लिए ऊंट के मुंह में जीरा है। सरकार भी हमारा कोई साथ नहीं दे रही है। अब चार अक्टूबर को परियोजना का कार्य ठप करवाने के साथ ही अनिश्चितकालीन हडृताल शुरू की जाएगी।