चमोली। माउंट त्रिशूल की फतह के लिए गई मुंबई की 13 वर्षीय काम्या सुरक्षित है। एवलांच आने के बाद सुरक्षा बलों ने काम्या व नौ सेना के जवानों को सुरक्षित बचा लिया गया। 01 अक्टूबर को सुबह पांच बजे बर्फीला तूफान आया तो नौ सेना के कैंप में अफरा-तफरी मच गई। कई जवान हताहत हुए। 13 वर्षीय काम्या भी त्रिशूल चोटी से महज 500 मीटर की दूरी पर बैस कैंप में थी। शनिवार को देर शाम सुतोल गांव पहुंचे दो पोर्टरों ने त्रिशूल पर्वत पर एवलांच आने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि नौ सेना के अन्य जवानों को बचा लिया गया है। उनके साथ काम्या भी है। वह सुरक्षित है। उसके पिता नौ सेना के कमांडर कार्तिकेयन सुंदरम भी त्रिशूल चोटी की तलहटी में बने बैस कैंप में सुरक्षित हैं। बैस कैंप का यह स्थान होमकुंड है। सेना की विशेष टीम त्रिशूल पर्वत पर रेस्क्यू के लिए पहुंच गई है। रविवार को रेस्क्यू दल के लोग एवलांच में अपनी जान गंवा बैठे जवानों के शवों को लेकर सेना के हेलीकॉप्टर से जोशीमठ पहुंच सकते हैं। सुतोल गांव से सेना का दल भी ट्रेकिंग कर आधे रास्ते से चंदनियाघाट पहुंच गया है।