चमोली। सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी की विमान दुर्घटना में मौत की खबर से सबको झकझोर दिया है। विराट व्यक्तित्व के धनी बिपिन रावत की मौत का लोगों पर गहरा सदमा लगा है। बृहस्पतिवार को प्रदेश में आयोजित होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम, आंदोलन आदि निरस्त कर दिए गए हैं। वर्ष 2019 में सेना प्रमुख रहते जनरल बिपिन रावत बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा पर पहुंचे थे और वे मलारी में सैन्य अधिकारियों व जवानों की हौसला आफजाई के लिए भी पहुंचे थे। उन्होंने मलारी में कहा था कि चीन से लगी हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांवों में निवास कर रहे ग्रामीणों को सीमा को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने सीमा क्षेत्र से जुड़े गांवों से पलायन को रोकने के लिए फलदायी पौधों का रोपण कर बागवानी के जरिए ग्रामीणों की आजीविका को बढ़ाने का आह्वान किया था। बदरीनाथ धाम में उन्होंने पत्नी संग भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए थे और राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्र कल्याण के लिए भगवान बदरीनाथ की संकल्प पूजा की थी। 6 सितंबर 2021 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत मसूरी आये थे, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में आयोजित 27वें संयुक्त नागरिक सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिरकत की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था की राष्ट्र हमेशा पहले आता है व्यक्तिगत सेवाएं नही, कहा था कि सुशासन राष्ट्रीय शक्ति के मुख्य स्तम्भों में से एक हैं, हम सभी को राष्ट्र हित के लिए काम करना चाहिए। जनरल बिपिन रावत का एक परिचय– सीडीएस बिपिन रावत द्वारीखाल ब्लॉक की ग्राम पंचायत बिरमोली के सैणगांव के मूल निवासी थे। इन दिनों देहरादून के जलवायु विहार उनका मकान भी बन रहा था। उत्तरकाशी में उनका ससुराल था। उनकी पढ़ाई देहरादून के गढ़ी कैंट स्थित कैम्ब्रिन हॉल स्कूल में हुई। वे समय समय पर अपने गांव आना नहीं भूलते थे और ग्रामीणों के साथ गर्मजोशी के साथ मिलते थे। गांव में अपनी भूमि को लेकर सगे संबंधियों से पूछने की उनकी जिज्ञासा रहती थी। गांव के बुजुर्गों के साथ बैठकर बातें करते थे। वे शालीन और बेहद मिलनसार थे।