चिपको नेत्री गौरा देवी को सम्मान देने के नाम पर यह कैसा मजाक– 

by | Apr 6, 2022 | चमोली, समस्या | 0 comments

पढेंः सरकार से क्यों खफा हो गए गौरा देवी के बेटे चंद्र सिंह–

चमोलीः चिपको आंदोलन की सूत्रधार गौरा देवी के इकलौते पुत्र 78 वर्षीय चंद्र सिंह उत्तरखंड सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। दरअसल, वर्ष 2016 में राज्य स्थापना दिवस पर सरकार ने गौरा देवी को उत्तराखंड रत्न सम्मान के लिए चयनित किया। इस सम्मान में गौरा देवी को पांच लाख, एक रुपये की सम्मान राशि भी दी जानी थी, लेकिन आज तक उनके वारिसदार को यह सम्मान राशि नहीं दी गई है। साफ है कि अफसरशाही की उदासीनता के कारण सरकार किरकिरी हो रही है। 

पांच साल पहले 2016 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड रत्न की घोषणा की थी। गौरा देवी समेत नौ लोगों को उत्तराखंड रत्न के लिए चयनित किया गया था। इस सम्मान में प्रशस्ति पत्र व पांच लाख एक रुपये की सम्मान राशि दी जानी थी। उत्तराखंड शासन ने सम्मान राशि देने के लिए गौरा देवी के पुत्र चंद्र सिंह से वारिस प्रमाण-पत्र व मृत्यु प्रमाण-पत्र की मांग की, जिस पर उन्होंने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद को आवश्यक प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराए, लेकिन आज तक उन्हें सम्मान राशि का भुगतान नहीं हो पाया है।

कागा गरपक के ग्राम प्रधान व प्रधान संगठन के जिला महामंत्री पुष्कर सिंह राणा ने इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत उत्तराखंड शासन से सूचना मांगी तो इस बात का खुलासा हुआ कि गौरा देवी के वारिसदार न मिलने के कारण सम्मान निधि की राशि उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद को लौटा दी गई है, जबकि गौरा देवी के बेटे चंद्र सिंह का कहना है कि जिस दिन गौरा देवी को मरणोप्रांत उत्तराखंड रत्न से सम्मानित करने के लिए उन्हें देहरादून बुलाया गया था, तो उसी दिन उनसे वारिस व मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग क्यों नहीं की गई। कार्यक्रम संपन्न होने के एक माह बाद उन्हें पत्र के माध्यम से प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कहा गया, उसी दौरान प्रमाण पत्र जमा करने के बाद भी सम्मान राशि का भुगतान अभी तक भी क्यों नहीं किया गया।  

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