चमोली। चमोली जनपद के दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीण हर दिन संघर्ष के बूते जीते हैं। पहाड़ में लोगों का जीवन भी पहाड़ जैसा संघर्ष से भरा हुआ है। जिले के दूरस्थ डुमक और कलगोठ गांव के ग्रामीणों को आज भी सड़क सुविधा किसी सपने से कम नहीं है। ग्रामीण अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए 20 से 25 किलोमीटर की पैदल दूरी पगडंडी पर नापते हैं। बुधवार को डुमक गांव की एक महिला बीमार हुई तो गांव में न तो समुचित स्वास्थ्य सुविधा है और ना ही सड़क की सुविधा। परेशान ग्रामीणों ने महिला को कंधे पर डंडी के सहारे 19 किलोमीटर तक चलकर सड़क तक पहुंचाया और यहां से वाहन के जरिए महिला को पीपलकोटी अस्पताल में भर्ती कराया। 21 वीं सदी में भी इन गांवों के वाशिंदों को सड़क सपना है। ऐसा नहीं है कि यहां के लिए सड़क की स्वीकृति नहीं है। सड़क की स्वीकृति तो है, लेकिन अफसरों क लापरवाही के कारण आज तक इन गांवों को सड़क से नहीं जोड़ा जा सका है। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क सुविधा मिल जाती तो उन्हें अन्य सुविधाओं के लिए सरकार का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा।