-एपीआई के आधार पर बनाई मेरिट सूची, अब सीधे साक्षात्कार से होगी भर्ती–
गोपेश्वरः उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से चल चल रही असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया को एपीआई (एकेडमिक प्रफोरमेंश इंडिकेटर) के आधार पर कराने का स्थानीय युवाओं ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया के आधार पर उत्तराखंड के युवा कभी प्रोफेसर नहीं बन सकते। क्योंकि यहां पर वैसी सुविधाएं नहीं हैं जैसी अन्य राज्यों में हैं। उन्होंने इस भर्ती प्रक्रिया को एपीआई के बजाय लिखित परीक्षा के आधार पर कराने की मांग की है।
स्थानीय युवाओं का कहना है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से दिसंबर 2021 में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 455 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की। लेकिन इसमें लिखित परीक्षा के बजाय एपीआई के आधार पर अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई। जिनका अब 100 नंबर का साक्षात्कार होना है। एपीआई प्रक्रिया से उत्तराखंड के अधिकांश युवा बाहर हो गए हैं और 80 प्रतिशत अभ्यर्थी दूसरे राज्यों के चयनित हुए हैं। लिखित परीक्षा होती तो उत्तराखंड के अभ्यर्थी भी बड़ी संख्या में साक्षात्कार की सूची में शामिल होते।
गोपेश्वर निवासी हिमांशु थपलियाल, आशीष नेगी, गिरीश भट्ट, चंदन गड़िया, सुरत सिंह, दिनेश सिंह आदि का कहना है कि एपीआई के बजाय भर्ती प्रक्रिया लिखित परीक्षा के आधार पर होनी चाहिए। जिससे यहां के युवाओं को भी बराबरी का मौका मिल सके। 100 नंबर के साक्षात्कार में धांधली की भी ज्यादा आशंका बनी रहती है। उनका कहना है कि दूसरे राज्यों में भी इस भर्ती को लिखित परीक्षा के आधार पर कराया जाता है। उसमें भी 30 से 40 प्रतिशत प्रश्न उसी राज्य से संबंधित होते हैं। जिससे वहां के ज्यादा से ज्यादा अभ्यर्थी चयनित हो जाते हैं। जबकि उत्तराखंड में विषम भौगौलिक परीस्थिति के बावजूद इसके उलट प्रक्रिया अपनाई जा रही है। एपीआई की प्रक्रिया यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के लिए बनाई है, लेकिन उत्तराखंड में इसे कॉलेजों में लागू किया जा रहा है।