जड़ी बूटी शोध संस्थान में हिमालय दिवस पर बोले पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट–
गोपेश्वरः जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान मंडल में आयोजित हिमालय दिवस कार्यक्रम में पदमविभूषित चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि हिमालय को संरक्षित रखने के लिए उस पर बाजार के दबाव को कम करने के लिए उसका कृषिकरण कैसे हो इस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। हिमालय को संरक्षित, संवृद्धित रखने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। सिर्फ ऊपरी तौर पर बातें करने से कुछ नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि कीड़ा जड़ी सहित अन्य जड़ी बूटी के लिए हिमालय पर बाजार का बड़ा दबाव है। इसको कृषिकरण में बदलने की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर खेती को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक स्तर पर काम करना होगा।
साथ ही लगातार पहाड़ों में हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए वनों को संरक्षित रखने के लिए गंभीरता से काम करने की जरूरत है। वनों पर निर्भरता कम करने के लिए औषधीय खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है।
पीजी कॉलेज गोपेश्वर में वनस्पति विज्ञान की प्रोफेसर डा. प्रियंका उनियाल ने वर्तमान में हो रहे मौसमी घटनाचक्र को संतुलित करने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी है। संस्थान के वैज्ञानिक डा. वीपी भट्ट और डा. एके भंडारी ने हिमालय के घटनाक्रम और उसके वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। हिमालय के संरक्षण, संवद्र्धन और पारीस्थितिकीय संतुलन में पादपों और जीव जंतुओं की सहभागिता पर भी विचार रखे। उत्कृष्ट काश्तकारों रविंद्र नेगी और वीरेंद्र सिंह राणा को संस्थान की ओर से सम्मानित किया गया।
इस दौरान एटीआई वैरांगना की पल्लवी जोशी, संस्थान के वैज्ञानिक डा. सीपी कुनियाल, मुंशी प्रसाद, विनीत पुरोहित, अजय तिवाड़ी, कलम सिंह, अतर सिंह, देवेंद्र सिंह, राकेश बिष्ट, मनोज जुयाल, खुशहाल नेगी, संजीव बिष्ट, शंभु पुरोहित के साथ ही संस्थान के वैज्ञानिक और स्थानीय लोग मौजूद रहे।