पर्यटन के क्षेत्र में थी गहरी पकड़, रुद्रप्रयाग और चमोली में ये पुरानी सड़कें फोनिया की देन–
चमोलीः स्वर्गीय केदार सिंह फोनिया उत्तर प्रदेश के लेकर उत्तराखंड की राजनीति के कद्दावर नेता थे। वे पर्यटन के क्षेत्र में गहरी पकड़ रखते थे। जब वे गढ़वाल मंडल विकास निगम के निदेशक रहे तो उन्होंने औली-जोशीमठ रोपवे स्वीकृत करवाई, यहीं से औली राष्ट्रीय फलक पर चमक गया।
केदार सिंह फोनिया केंद्र सरकार के पर्यटन विभाग में अच्छे पद पर नौकरी कर रहे थे। लेकिन जनवरी-फरवरी 1969 को उत्तर प्रदेश में मध्यावती चुनाव हुए। जिसमें केदार सिंह फोनिया नौकरी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
राजनीति से तौबा कर वापस फिर नौकरी पर आए और उत्तर प्रदेश में नवगठित पर्वतीय विकास निगम में डिविजनल मैनेजर बने। लंबी सरकारी सेवा में रहने के बाद सेवानिवृत्त होकर उन्होंने 1991 में भाजपा से जुड़ते हुए फिर राजनीति में कदम रखा, इसी साल विधायक का चुनाव जीते और यूपी में पर्यटन व संस्कृति मंत्री बने।
1993 व 1996 का चुनाव भी जीता और उत्तराखंड की अंतरिम सरकार में पर्यटन और उद्योग मंत्री बने, 2002 का चुनाव हारे लेकिन 2007 में फिर बदरीनाथ विधानसभा से विधायक बने। अपने जीवन का आखरी चुनाव 2012 में निर्दलीय लड़ा लेकिन हार गए।
1992 में उन्होंने चोपड़ा-कांडई-दशज्यूला, अगस्त्यमुनि-डोभा-गणेशनगर, घिंघराण-बेमरु-उर्गम, थराली-बगरीगाड मार्ग पर कोलतार, गुप्तकाशी-डिडोली सड़क पर कोलतार और गुप्तकाशी-कालीमठ मार्ग पर कोलतार बिछवाने का शासनादेश जारी करवाया।
उन्होंने इसी दौरान अपने विधायक काल में सोनाली-कोठली, कोटमा-चौमासी, हेलंग-उर्गम, घाट-रामणी, घाट-सितेल, सेलंग-सलूड़ मार्ग का निर्माण करवाया, विजयनगर-पठालीधार सड़क का निर्माण और पुल निर्माण कार्य करवाया।