कार्यशालाः परम्परागत ज्ञान द्वारा जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन विधियों पर कार्यशाला सम्पन्न–

by | Nov 27, 2022 | जागरुकता, श्रीनगर | 0 comments

गढ़वाल विवि के चौरास परिसर में आयोजित हुई कार्यशाला– 

श्रीनगरः हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग में संचालिय एपीएन (जापान ) द्वारा वित्त  पोषित शोध परियोजना के अंतर्गत गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास स्थित एकैडमिक एक्टिविटी सेंटर में परंपरागत ज्ञान द्वारा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने एवं इसको अनुकूलन बनाने पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर आरo केo मैखुरी ने कार्यक्रम की शुरुआत की.

उन्होंने कार्यशाला के मुख्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों को परियोजना के उद्देश्ययों एवं शोध परियोजना में किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा की परम्परागत ज्ञान के रूप में हिमालयी क्षेत्रों में अपनायी जा रही कृषि पद्धतियों एवं चिकित्सा ज्ञान को वर्तमान परिदृश्य के लिए उपयोगी माना तथा वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन को रोकने में परम्परागत ज्ञान की उपयोगिता पर जोर देते हुई उसे आत्मसात करने का आवहान किया.

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि माननीया कुलपति प्रोफ़ेसर अन्नपूर्णा नौटियाल कार्यक्रम के शुरुआत में वर्तमान में जलवायु परिवर्तन एवं इसके विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला। साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए परंपरागत पद्धतियों एवं ज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि प्रोo सीo एमo शर्मा ने जलवायु परिवर्तन एवं उसके दूरगामी दुष्परिणाम पर मुख्य रूप से प्रकाश डाला और वर्तमान समय में मानव एवं प्रकृति के सकारात्मक समायोजन पर बल दिया । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोo एo केo डोबरियाल ने  पारिस्थिकी सेवाओं  एवम  स्थानीय परम्परागत ज्ञान का चिकित्सा में प्रयोग पर अपने अनुभव साझा किये।

कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक व विभागाध्यक्ष वानकी प्रोo आरo सीo सुंदरियाल ने भारत में जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी नीतियों की प्रासंगिकता व चुनौतीयों पर प्रकाश डाला. वरिष्ठ भू वैज्ञानिक प्रोo एचo सीo नैनवाल, विभागाध्यक्ष भू-गर्भ विज्ञान ने ग्लेशियारों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उनके संरक्षण की विधियों पर चर्चा की।

प्रोफेसर जेo एसo चौहान संकायध्यक्ष कृषि विज्ञान ने परम्परागत कृषि तकनीकियों द्वारा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूक किया। डॉक्टर विजय कांत पुरोहित, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी हैप्रिक ने परंपरागत औषधियों के महत्व एवं उनके संरक्षण पर वक्तव्य प्रस्तुत किये, कार्यक्रम का संचालन डॉo विधु गुप्ता द्वारा किया गया.

कार्यक्रम में डॉ गिरीश चंद्र भट्ट, डॉo चण्डी प्रसाद, रविंद्र सिंह रावत हरेंद्र रावत, आकाश दीप, ललिता, अशोक, प्रियंका, अक्षय सैनी, गिरीश नौटियाल, सुखदेव भट्ट, मुरलीधर घिल्डियाल सहित पर्यावरण विज्ञान विज्ञान, बीज विज्ञान, ग्रामीण प्रोद्योगिकी, वानिकी एवं शिक्षा विभाग के 100 से अधिक छात्र छात्राऐ उपस्थित रहे.

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