पहलः जड़ी-बूटी कृषिकरण से जुड़ेंगे मंडल घाटी के गांव– 

by | Feb 16, 2023 | खेतीबाड़ी, चमोली | 0 comments

जड़ी-बूटी शोध संस्थान मंडल में बनीं कई योजनाएं, वन पंचायतों में भी होगा जड़ी-बूटी का कृषिकरण–  

गोपेश्वरः जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान मंडल के निदेशक मुख्य विकास अधिकारी डा. ललित नारायण मिश्र ने बृहस्पतिवार को संस्थान सभागार में एक बैठक ली। इस बैठक में संस्थान के वैज्ञानिकों के अलावा काश्तकारों, जनप्रतिनिधियों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने प्रतिभाग किया।

निदेशक ने कहा कि मंडल घाटी के प्रत्येक गांव को जड़ी-बूटी कृषिकरण से जोड़ा जाएगा। इसके लिए संस्थान के वैज्ञानिकों की एक-एक टीम गांवों में बैठकें आयोजित कर कार्ययोजना तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों द्वारा उत्पादित जड़ी-बूटी का विपणन संस्थान की ओर से आउटलेट के माध्यम से किया जाएगा।

उन्होंने गांव-गांव में जड़ी-बूटी कृषिकरण पर जोर दिया। कहा कि वन पंचायतों में भी औषधीय पादपों की वृक्ष प्रजातियां तेजपात, आंवला, रीठा और लेमनग्रास के कृषिकरण किया जाए। संस्थान के वैज्ञानिक डा. सीपी कुनियाल ने कहा कि मंडल घाटी में तुलसी, बड़ी इलायची, तेजपात, रीठा और केमोमाइल के कृषिकरण की संभावनाएं हैं।

वैज्ञानिक डा. विजय प्रसाद भट्ट ने बिच्छू घास की उपयोगिता की जानकारी देते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण औषधि है। जो शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने में सक्षम है। वैज्ञानिकों द्वारा काश्तकारों को प्रयोगशाला का भ्रमण भी कराया गया। काश्तकारों ने जड़ी-बूटी के क‌ृषिकरण का प्रशिक्षण देने की बात कही, जिस पर निदेशक ने शीघ्र मास्टर ट्रेनरों से काश्तकारों को प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए।

इस मौके पर डा. अरविंद भंडारी, पूर्व प्रमुख भगत सिंह बिष्ट, राजेंद्र सिंह बिष्ट, राकेश लाल आदि मौजूद रहे।

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