जोशीमठ। चीन सीमा पर द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांवों के ग्रामीण इन दिनों खासे परेशान हैं। नीती-मलारी हाईवे के तमक गांव के समीप पिछले चार दिनों से अवरूद्घ होने के कारण ग्रामीण आवाजाही नहीं कर पा रहे हैं। घाटी के 16 गांव पूरी तरह से अलग-थलग पड़े हुए हैं। शनिवार को दिनभर मलारी हाईवे बंद रहा। 50 लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं। ये ग्रामीण दुंपुधार में आजादी के जश्न में शामिल होने जा रहे थे। नीती घाटी के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से क्षेत्र में हवाई सेवा के जरिए फंसे लोगों को निकालने की मांग उठाई है। यहां हाईवे के दोनों ओर करीब 200 स्थानीय ग्रामीण फंसे हुए हैं। सेना के वाहनों की आवाजाही भी नहीं हो पा रही है। पत्थरों की चपेट में आने से नीती घाटी के गांवों के लिए सप्लई हो रही 11 केवी की विद्युत लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई है। चार दिन से तमक, जेलम, द्रोणागिरी, कागा, गरपक, जुम्मा, भापकुंड, कोषा, मलारी, कुरकुटी, महरगांव, फरकिया, कैलाशपुर, बांपा, गमशाली और नीती गांव अंधेरे में हें। क्षेत्र में संचार सेवा भी ठप है। जिससे ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का अपने सगे-संबंधियों से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। बांपा गांव के पूर्व प्रधान धर्मेंद्र पाल ने बताया कि हाईवे के अवरूद्घ होने से कई ग्रामीण सुरांईथोटा, लाता, पगरासू और फाक्ती गांव में फंसे हुए हैं। भलगांव के ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला और सुरांई थोटा तोलमा गांव के रघुवीर सिंह बिष्ट ने बताया कि क्षेत्र में हुई बारिश से 11 अगस्त से तमक गांव के समीप चट्टान से पत्थर के गिरने का सिलसिला शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है। ग्रामीण यहां पैदल आवाजाही भी नहीं कर पा रहे हैं। सेना और आईटीबीपी के कैंपों में भी बिजली नहीं है। तमक में विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण सेना कैंपों में भी चार दिनों से बिजली सप्लाई ठप पड़ी हुई है। जिससे सेना के जवानों को अंधेरे में रात गुजारनी पड़ रही है। नीती घाटी के दुंपुधार-गमशाली में प्रतिवर्ष 15 अगस्त का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जाता है। भोटिया जनजाति के ग्रामीण मैदानी क्षेत्रों से भी जश्न ए आजादी के कार्यक्रम में सम्मलित होने अपने गांवों में पहुंचते हैं। लेकिन जेलम में मलारी हाई बंद होने से ग्रामीण अपने गांव नहीं पहुंच पा रहे हैं।