अपनी व्यथा सुनाते भर आई आपदा प्रभावित गांव की महिलाओं की आंखें, डीएम से की गांव में अधिकारियों को भेजने की मांग–
गोपेश्वर: आपदा से त्रस्त दशोली विकासखंड के कौंज पोथनी गांव के ग्रामीण उफनते गदेरे और टूटे राश्तों से होते हुए गोपेश्वर पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद मीडिया से बातचीत की। मीडिया के सामने अपनी व्यथा सुनाते हुए महिलाओं का गला भर आया। उन्होंने कहा कि आपदा के इतने दिनों बाद भी उनके गांव में शासन प्रशासन का कोई भी अधिकारी कर्मचारी उनका हाल जानने नहीं आया। वे किस तरह की परेशानी में जीवन गुजार रही हैं इसका प्रशासन को पता कैसे चलेगा।
13 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से कौंज पोथनी ग्राम पंचायत में भारी नुकसान हुआ था। गांव के दोनों तरफ हुए भूस्खलन से आने जाने के सभी पैदल रास्तों के अलावा सड़क मार्ग टूटा हुआ है। सोमवार को गांव के लोग बड़ी संख्या में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। ग्रामीणों से जब मीडिया कर्मियों ने बात की तो अपनी व्यथा बताते हुए महिलाओं का गला भर आया। क्षेत्र पंयायत सदस्य ममता अपनी व्यथा बताते हुए रुआंसी हो गई। उन्होंने बताया कि आज हम इतनी परेशानी में हैं कि रात भर सो नहीं पा रहे हैं। आपदा के बाद से क्षेत्र के विद्यालय बंद हैं, हम अपने बच्चों को लेकर कहां जाएं। लोगों की गौशाला टूट गई हैं। टूटे रास्तों से यहां पहुंचने में हमें कितनी परेशानी उठानी पड़ी हम ही जानते हैं। लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। 13 अगस्त से अभी तक गांव में न प्रशासन का कोई अधिकारी व कर्मचारी पहुंचा न ही कोई जनप्रतिनिधि पहुंच पाया है। जब कोई गांव में आएगा ही नहीं तो उन्हें कैसे पता चलेगा कि हम किस मुसीबत में जी रहे हैं। गांव की सुनीता देवी का कहना है कि प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी वहीं तक आ रहे हैं जहां तक सुविधाजनक है। गांव तक कोई नहीं पहुंचा, जिसके चलते आज हम मजबूर होकर यहां आए हैं।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द गांव में किसी अधिकारी को भेजने की मांग की, जिससे गांव की समस्या का समाधान हो सके। ज्ञापन सौंपने वालों में ग्राम प्रधान कुंदन सिंह, नरेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, हयात सिंह, पुष्कर सिंह, मुन्नी देवी, नरेंद्र, महावीर, तेजपाल, मुकुंदीलाल आदि शामिल रहे। महिला मंगलदल अध्यक्ष दीपा देवी का कहना है कि ग्रामीणों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। टूटे रास्तों से आवाजाही करने में जोखिम बना हुआ है। मवेशियों के लिए चारा पत्ती की व्यवस्था करना भी हमारे लिए चुनौती बना हुआ है। 13 अगस्त को गांव के दोनों तरफ भूस्खलन हुआ। अभी भी गांव के ऊपर बड़े-बड़े पत्थर अटके हुए हैं, जो कभी भी नीचे आकर भारी तबाही मचा सकते हैं, इसके डर से लोग रात भर चिंतित रहते हैं। लेकिन वे जा भी कहां सकते हैं।