गोपेश्वर में जनसभा के साथ ही पोखरी, जोशीमठ और दशोली में की नुक्कड़ सभाएं, जुटी रही भीड़–
गोपेश्वर: कांग्रेस ने बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस की माताओं, बहनों और यहां की बहु बेटियों से भावुक अपील की है। पहाड़ की बेटियों और माताओं के दर्द को उकेरती मार्मिक अपील सभी के बीच रोचक बनीं हुई है।
बेटी की ओर से अपील है कि मैं उत्तराखंड की बेटी हूं इन्हीं पहाड़ों में जन्म लिया यही खिलखिलाया था मेरा बचपन। और यही बीती मेरी जवानी मैं यही बूढ़ी हुई और यही की भूमि और वातावरण में मिल गई। जब मेरे घर परिवार और गांव के पुरुष रोजी-रोटी की तलाश में दूर देश चले जाते हैं तो मैं ही सिंचती हूं इन खेतों को और रखती हूं जिंदा इन खलियानों को। मैंने इस भूमि इन नदियों झरनों और पहाड़ों के बोझ को अपने सिर पर उठाया है। जब पुरुष दूर देश किसी रोजगार व्यापार या पूजा पाठ के लिए गए थे तो निसंदेह ग्राम देवता इष्ट देवता और भूमि देवता में मुझे शक्ति दी मुझे सुरक्षा दी लेकिन मैं ही थी जिसे पुरुष विहीन गांव में दिया बाती करके दिव्य स्थान की दिव्यता की लो को लगातार जलाए रखा। मैं उत्तराखंड की बेटी हूं जिसने चिपको आंदोलन से पूरे विश्व में पर्यावरण आंदोलन की ज्वाला जलाई, मैं पेड़ों से चिपक कर बाहरी आततायियों से अपने जंगल को बचाया। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मैंने अपने पुरुष साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जंगल की रक्षा की।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मैंने अपने पुरुष साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन का नेतृत्व किया जब पुरुष साथी कमजोर पड़ गए तो मेरी दरांती की झंकार ने उन्हें हौसला दिया मैं अपने राज्य के लिए संघर्ष में सबसे आगे खड़ी थी मैंने संघर्षों के दौरान ऐसा राज्य कल्पना की थी जिसमें मैं खुद भी शामिल थी उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा की मैं सिर्फ गवाह ही नहीं बल्कि मैंने उसे झेला है। मुजफ्फरनगर में मिले दर्द के बावजूद मैंने आत्म समर्पण नहीं किया है लेकिन मेरा सपना दूर स्वप्न में बदल गया जब 2017 में भाजपा सत्ता में आई। भू कानून में बदलाव करके पूंजीपति और व्यवसायियों के रूप अपराधियों को देवभूमि में बसाने का षड्यंत्र शुरू हुआ।
उसके बाद देवभूमि की महिलाओं का उत्पीड़नछेड़छाड़ हत्या बलात्कार मानव तस्करी का अंतिम सिलसिला शुरू हो गया। पर अब सवाल पूछोगे कि मेरा नाम क्या है, मैं वहीं श्रीनगर की ममता जोशी बहुगुणा हूं जो 25 नवंबर 2019 को संदिग्ध परिस्थितियों में खो गई थी, पुलिस ने मुझे खोजने का प्रयास ही नहीं किया, मैं किस हालत में हूं जिंदा हूं या मर गई, जिंदा हूं तो मुझ पर क्या बीत रही होगी, यही सोचकर मेरा परिवार परेशान है,
लेकिन ना तो सरकार कोई मदद कर रही है और न पुलिस कोई विशेष खोजबीन कर रही है, लेकिन उत्तराखंड के गांव से अचानक गायब होने वाली में कोई अकेली लड़की नहीं हूं बल्कि मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में पिछले 5 साल में हजारों लड़कियां और महिलाएं मानव तस्करी का शिकार हुई हैं। सरकार मौन है सरकार सोचती है कि 5 किलो राशन देकर पहाड़ और पहाड़ियों के आत्म सम्मान को खरीद लेंगे। धिक्कार है ऐसी सरकार और उसके तंत्र पर जो बेटियों की रक्षा नहीं कर पा रहा है…