आक्रोशः यात्रियों की संख्या सीमित करने पर पांडुकेश्वर में निकाली रैली–

by | Apr 10, 2023 | आंदोलन, चमोली | 0 comments

होटल व्यवसायी, तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोगों ने किया सरकार के निर्णय का विरोध–

जोशीमठः चारों धामों में तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित करने पर एक बार फिर पांडुकेश्वर में बदरीनाथ के व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों और पांडुकेश्वर के स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतरकर फैसले का कड़ा विरोध दर्ज किया। उन्होंने पांडुकेश्वर में रैली निकालकर मुख्यमंत्री को इस संबंध में ज्ञापन भेजा है। कहा कि निर्णय वापस नहीं हुआ तो बदरीनाथ के कपाट खुलने के समय वे रैली निकालकर विरोध जताएंगे।

होटल एसोसिएशन बदरीनाथ, तीर्थ पुरोहित, बदरीनाथ धाम के व्यापारियों और पांडुकेश्वर के लोगों ने पांडुकेश्वर में रैली निकाली। उन्होंने यात्रा में तीर्थ यात्रियों की संख्या सीमित किए जाने का कड़ा विरोध किया। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता ने कहा कि सरकार ने चारों धामों में यात्रियों की संख्या सीमित कर दी है। बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या 18 हजार की गई है। जबकि यहां पर 35 हजार से अधिक यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। साथ ही ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को भी खत्म कर दिया गया है। यात्रियों के लगातार फोन आ रहे हैं कि ऑफ लाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है।

कहा कि यहां के सभी लोगों का रोजगार यात्रा से ही जुड़ा है। लोग छह महीने से इसका इंतजार करते हैं कि यात्रा शुरू होगी तो हम काम धंधे में लगेंगे। लेकिन यह बड़े अफसोस की बात है कि सरकार ने धाम में यात्रियों की संख्या सीमित कर दी। कहा कि वह लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं, उन्हें मौखिक तो आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। रैली के बाद उन्होंने थाने के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा।

इस दौरान विपिन पंवार, अनूप सिंह, वीरेंद्र सिंह, दिवाकर, सचिन, सत्यम सहित अन्य लोग मौजूद रहे। होटल एसोसिएशन बदरीनाथ के अध्यक्ष राजेश मेहता ने कहा कि चारों धामों का एक संगठन बना है। जिसके माध्यम से दो माह से सरकार से इस दिशा में बात की जा रही है। अभी तक उनकी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कहा कि उनके संगठन ने तय किया है कि यदि यात्रा शुरू होने तक भी सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती है तो वे अपने होटल, लॉज, रेस्टोरेंट की चाबी सरकार को सौंप देंगे, फिर सरकार ही इनको संचालित करे। कहा गया कि यदि पूर्व की भांति तीर्थयात्रा का संचालन नहीं किया गया तो आंदोलन तेज भी कर दिया जाएगा। 

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