चेनापवैली को नहीं मिल पाई पहचान, दुर्मीताल को विकसित करने की योजना नहीं चढ़ी परवान–
जोशीमठ (चमोली): सीमांत चमोली जनपद में हर तरफ प्राकृतिक पर्यटन क्षेत्र हैं, इनमें कुछ तो प्रसिद्ध हो गए, जहां अच्छी तादात में पयर्टक पहुंचते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जहां सबकुछ होते हुए भी वह दुनिया की नजरों से ओझल हैं। जबकि कुछ जगह को विकसित करने की जरूरत है।
जोशीमठ के सामने सोना शिखर पर थैंग गांव से कुछ दूरी पर चेनापवैली स्थित है। पांच वर्ग किमी के दायरे में फैली यह वैली में फूलों की घाटी की तर्ज पर विभिन्न प्रजाति के फूल खिलते हैं। जैव विविधता से भरपूर यह घाटी जून से सितंबर तक 300 से अधिक रंग बिरंगे फूलों से लगदक रहती है। 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह घाटी सीजन में हर 15 दिन में रंग बदलती है। अधिवक्ता और थेंग गांव निवासी दिलवर सिंह फरस्वाण का कहना है कि चेनाप घाटी के विकास पर ध्यान दिया जाए तो यह पर्यटकों के लिए नया स्थान मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि जैव विविधता से भरा यह क्षेत्र रंग बिरंगे फूलों से ढका रहता है। यदि इस क्षेत्र को पर्यटन सर्किट से जोड़ दिया गया तो यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी साथ ही स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिल जाएगा।
चेनापवैली
– देहरादून से करीब 300 किमी की दूरी पर स्थित है जोशीमठ। बदरीनाथ हाईवे पर जोशीमठ के पास मारवाड़ी पुल से घाटी के लिए 10 किमी सड़क मार्ग से चलने के बाद करीब 18 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। पहले दिन मारवाड़ी से थैंग गांव, अगले दिन धार खर्क और तीसरे दिन चार किमी की दूरी तय करने के बाद चेनाप घाटी पहुंचा जा सकता है।