गुप्तकाशी। देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ तीर्थपुरोहितों और हक-हकूकधारियों का विरोध थमने का नाम नहीं ले जा रहा है। बुधवार को तीर्थपुरोहितों और हक-हकूकधारियों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा। उत्तराखंड के चारों धाम केदारनाथ ,बदरीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री में पिछले कई महिनों से लगातार बोर्ड का विरोध किया जा रहा है। बुधवार को गुप्तकाशी ,केदारनाथ और उखीमठ में तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन कर बोर्ड को भंग करने की मांग पुरजोर से उठाई। कहा कि धामों में पूर्व की व्यवस्था लागू की जाए। एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजा गया। चेतावनी दी गई कि यदि बोर्ड को भंग नहीं किया गया तो ऐसे ही आंदोलन झेलने होंगे। केदारनाथ मंदिर प्रांगण में बकायदा कोविड नियमों के पालन के साथ धरना-प्रदर्शन किया गया। इधर, केदारनाथ यात्रा मार्ग के मुख्य पड़ाव गुप्तकाशी में भी विरोध प्रदर्शन किया गया। केदारनाथ के हक-हकूकधारियों के गांवों में भी लोगों में बोर्ड के प्रति आक्रोश है। उनका कहना है कि हिंदू धर्मावलंबी होने का दावा करने वाली राज्य और केंद्र की सरकारें पूंजीपतियों के दबाव में परंपराओं और धार्मिक हितों पर कुठाराघात कर रही हैं। सरकार की नजर केदारनाथ के बाद अब देश के चारों धामों में सर्वश्रेष्ठ बदरीनाथ धाम की जमीनों और यहां आस्थावान लोगों की ओर से अर्पित किए जाने वाले चढ़ावे पर है। हिंदू धर्म के वाहक पुरोहित ब्राह्मणों को पूजा पाठ धार्मिक अनुष्ठान के बजाय आंदोलन करने के लिये सड़कों पर आने को मजबूर किया जा रहा है। चेतावनी दी गई कि यदि शीघ्र बोर्ड को भंग नहीं किया गया तो देश भर में आंदोलन को तेज कर दिया जाएगा। आंदोलन के समर्थन में देश के कई प्रमुख धार्मिक संस्थाओं का समर्थन जुटाया जा रहा है। बोर्ड का सड़क से लेकर धामों और गांवों तक विरोध किया जाएगा।