चमोली। मां नंदा की बारह वर्षों में आयोजित होने वाली राजजात यात्रा का रौचक तथ्य जानें। पीपलकोटी के बंड भूम्याल देवता से नंदा राजजात यात्रा के १६वें पड़ाव पर स्थित शिला समुद्र से आगे ५३३३ मीटर की ऊंचाई पर स्थित ज्यूंरागली में आज भी टैक्स नहीं लिया जाता है। मान्यता है कि ७वीं सदी में राजा सालीपाल पंवार की अगुवाई में नंदा राजजात यात्रा जब होमकुंड के लिए जा रही थी तो यहां ज्यूंरागली नामक स्थान पर चट्टानी भाग होने से यात्रा आगे नहीं बढ़ पाई। तब कई देवी-देवताओं ने अवतरित होकर आगे जाने की भरकश कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए। तब पीपलकोटी के बंड भूम्याल देवता ने अपनी कटार से चट्टान को काटकर होमकुंड का रास्ता तैयार किया था। तब ज्यूंरागली में राजा सालीपाल ने ज्यूंरागली से आगे यात्रा पर टैक्स लगा दिया था। टैक्स में बंड भूम्याल को छूट मिली थी। आज भी यह परंपरा राजजात यात्रा में चली आ रही है। इन दिनों गांव-गांव में मां नंदा की कैलाश विदाई हो रही है। शनिवार को गांव-गांव से मां नंदा की छंतोलियां अपने भक्तों के साथ कैलाश के लिए रवाना हुई। प्रतिवर्ष मां नंदा की लोकजात यात्रा के दौरान संपूर्ण चमोली जनपद नंदामयी हो जाता है।