विधानसभा सत्र के बीच उत्तराखंड में सख्त भू कानून पर मुहर लगी, धामी सरकार ने वाहवाही लूटी–

by | Feb 19, 2025 | देहरादून, ब्रेकिंग | 0 comments

पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट, भू कानून में कई प्रावधान किए, जनभावना के अनुरुप सरकार ने बनाया भू कानून–

देहरादून, 19 फरवरी 2025: बुधवार को विधानसभा सत्र के बीच हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड में सख्त भू कानून पर मुहर लग गई है।

उत्तराखंड का नया भू कानून-

क्या हैं नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान ?

त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त हुए, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है। बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध,

हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।

पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती, पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी। जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित, अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी। ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी, प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा। शपथ पत्र होगा अनिवार्य, राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके। नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग, सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी। नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग, नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।

क्या होगा नए कानून का प्रभाव ?

इस कानून से उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी। पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा। भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी। सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।

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