चमोली। चमोली जनपद के उर्गम घाटी में स्थित फ्यूंलानारायण मंदिर में महिला द्वारा भगवान विष्णु का श्रृंगार किया जाता है। शुक्रवार को विधि विधान से फ्यूंला नारायण मंदिर के कपाट श्रद्घालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर जोशीमठ ब्लाक के कल्प क्षेत्र में स्थित है फ्यूंलानारायण का 500 वर्ष प्राचीन मंदिर। इस मंदिर की खासियत यह है कि मंदिर में विराजमान भगवान नारायण को तीनों पहर गाय के ताजे दूध व मक्खन का भोग लगाया जाता है। ग्रामीण प्रतिदिन अपने घरों से इस मंदिर में दूध व मक्खन अर्पित करते हैं। मान्यता है कि दूध व मक्खन भगवान नारायण को चढ़ाने से क्षेत्र में खुशहाली व समृद्धि मिलती है। खास बात यह है कि इस मंदिर के पुजारी भेंटा, भर्की, पिलखी, ग्वाणा, अरोसी के राजपूत होते हैं। प्रत्येक वर्ष एक गांव से पुजारी के लिए एक परिवार का नंबर लगाया जाता है। कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक उसी परिवार का सदस्य इस मंदिर में पूजा करता है। महिला द्वारा भगवान फ्यूंला नारायण का फूलों से श्रृंगार किया जाता है। इस वर्ष भगवान फ्यूला नारायण की पूजा हरीश सिंह चौहान और श्रृंगार गोदांबरी देवी की ओर से की जाएगी। मंदिर को फ्यूलानारायण फ्रेंड्स क्लब के द्वारा फूलो से सजाया जा रहा है। इस दौरान मंदिर के आसपास सफाई अभियान भी किया गया।उर्गम घाटी में सिथित 10 हजार फिट ऊँचे उच्च हिमालयी बुग्याल में विराजित भगवान फूलनारायण के कपाट इस वर्ष शुक्रवार को खोल दिये जायेंगे। यहाँ पौराणिक काल से परम्परा रही है कि यहां पुजारी महिलाएं फ्यूलाण रूप में भगवान का श्रृंगार फूलो से करती है। भगवान फ्यूंला नारायण का मंदिर अत्यन्त रमणीक और मनमोहक है। मंदिर के कपाट खुलने पर भगवान श्री हरि नारायण के स्नान के बाद पुष्पों से भव्य श्रृंगार किया जाता है। इससे पूर्व गाँव के लोग अपनी दुधारू गायों और अन्य पशुओ को लेकर फ्यूंला नारायण धाम पहुँच रहे हैं और इन्हीं दुधारू गायों के दूध और मक्खन का भगवान फ्यूला नारायण को नित्य भोग लगाया जाता है। स्थानीय निवासी उजागर फर्स्वाण का कहना है कि इस बार भगवान नारायण का श्रृंगार गोदांबरी देवी करेंगी। उन्होंने बताया कि भगवान के मंदिर को कपाट खुलने से पूर्व फूलो से सजाया जा रहा है इसके साथ ही आसपास सफाई की जा रही है।फ्यूंला नारायण मंदिर के कपाट परंपरा के अनुसार श्रवण संक्रांति को खुलते हैं व डेढ़ माह बाद नंदा अष्टमी को बंद कर दिए जाते हैं। भेटा,भर्की, गवाणा व अरोशी सहित उर्गम घाटी के दर्जनों गांवों के लोग व मंदिर में हक-हकूकधारी हैं।