आज भी गांव तक पहुंचने के लिए पांच किलोमीटर की पैदल दूरी नाप रहे ग्रामीण, स्वास्थ्य सुविधा न ढंग के रास्ते–
गोपेश्वर, 26 जून 2025: नीती घाटी का दूरस्थ गरपक गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव तक जाने के लिए ग्रामीण आज भी पांच किलोमीटर की लंबी पैदल दूरी नापने को मजबूर हैं। गांव में स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा न होने से बीमार व्यक्ति को सड़क तक पहुंचाने में भी दो घंटे का समय लग जाता है।
गरपक गांव को जोड़ने वाला पैदल मार्ग भी खस्ताहालत में है। गांव में संचार की सुविधा भी नहीं है। बता दें कि नीती घाटी के ग्रामीण छह माह शीतकाल में चमोली जनपद के निचले क्षेत्रों में निवास करते हैं और छह माह ग्रीष्मकाल में अपने पैतृक गांव में लौट जाते हैं। इन्हें द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांव भी कहा जाता है। ग्रामीण चीन सीमा क्षेत्र की निगेहबानी कर रही आईटीबीपी और सेना के साथ तालमेल बनाकर रहते हैं। लेकिन सुविधाएं न होने से अब कम ही ग्रामीण सीमावर्ती गांवों में पहुंच रहे हैं। जो पहुंच भी रहे हैं, वे सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
गांव में प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणाें का कहना है कि 2005 में गांव के लिए सरकार ने सड़क स्वीकृत की थी, लेकिन अभी तक इस पर काम नहीं हुआ है। सड़क निर्माण के लिए सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं। गांव में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर फर्स्ट एड की व्यवस्था तक नहीं है।