गोपेश्वर। 23 अक्टूबर को जिला पंचायत उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत ने जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी पर विभिन्न योजनाओं में वित्तीय अनियमितता के साथ ही विवेकाधीन कोष, नंदा देवी राजजात और कोरोना काल में वित्तीय अनियमितता के साथ ही उनके पति पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी के जिला पंचायत के कार्यों में हस्तक्षेप करने के आरोप लगाए थे। जिस पर मंगलवार को जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी और कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यों ने अलग-अलग पत्रकार वार्ता आयोजित कर उपाध्यक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन किया। अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना काल में सभी सदस्यों के क्षेत्रों में समान रूप से सामग्री का वितरण किया गया है। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत उपाध्यक्ष पिछले डेढ़ साल से उनके देहरादून स्थित भवन पर किराए पर रहते हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक किराए का भुगतान नहीं किया है। फरवरी 2020 को उनका किरायानामा का अनुबंध भी समाप्त हो गया है। अब वे किराया देने के बजाय उन पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत उपाध्यक्ष की ओर से नियोजन समिति की बैठकों में न बुलाए जाने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन वे समिति के सदस्य ही नहीं हैं तो उनका बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है। इधर, कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्यों ने भी पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ मिलकर जिला पंचायत उपाध्यक्ष अध्यक्ष पर बेबुनियादी आरोप लगा रहे हैं। 2012-13 में यदि नंदा राजजात यात्रा के कायों में घोटाला हुआ है तो चमोली के दो दो आईएएस अधिकारियों ने अध्यक्ष को क्लीन चिट कैसे दी। उपाध्यक्ष भाजपा का मोहरा बनकर रह गए हैं। जिला पंचायत सदस्य देवी जोशी, लक्ष्मण सिंह आदि ने कहा कि शीघ्र जिला पंचायत उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। वहीं, पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि हमारे देहरादून स्थित आवास पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह रावत पिछले डेढ़ साल से बिना किराया दिए रह रहे हैं। उनसे किराया मांगा गया तो उन्होंने एक साल पुरानी ऑडियो क्लिप वायरल कर दी। मेरी ओर से उपाध्यक्ष के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि मेरी राजनीतिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास किया गया है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष की ओर से यह सारा खेल मेरे को कमजोर करने के लिए खेला जा रहा है। मुझे जनता का समर्थन हासिल है।