रुद्रप्रयाग के नारी गांव में चक्रव्यूह मंचन, कौरवों ने अभिमन्यु को छल से मारा, पांडव नृत्य देख मंत्रमुग्ध हुए भक्तगण–

by | Nov 28, 2021 | आस्था, रूद्रप्रयाग | 0 comments

 रुद्रप्रयाग। रूद्रप्रयाग जनपद के गांवों में ग्रामीणा आज भी सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। यहां गांव-गांव में पांडव नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस दौरान ढोल-दमाऊं की थाप पर पांडव परिवार अद्भुत नृत्य करते हैं। तल्लानागपुर के नारी गांव में पांडव नृत्य में चक्रव्यूह लीला का मंचन किया गया। इस मौके पर क्षेत्र सहित जिले के दूरस्थ गांवों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल थे, जिन्होंने पांडवों के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। उधर, अगस्त्यमुनि ब्लॉक के ग्राम पंचायत सन, बिजराकोट, गडमिल और जखोली विकासखंड के दरमोला गांव में भी पांडव नृत्य का आयोजन हो रहा है।शनिवार सुबह नारी गांव में पंचायत चौक में विधि-विधान के साथ पुजारियों ने पांडवों का पूजन कर अन्य धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया। इसके बाद विधि-विधान के साथ चक्रव्यूह लीला का मंचन किया गया। जिसमें, महाभारत युद्ध में गुरू द्रोणाचार्य द्वारा पांडवों को हराने के लिए चक्रव्यूह तैयार किया जाता है। वे सभी सात द्वारों पर कौरव सेना के वीर योद्धा खड़ा करते हैं। पांडवों की तरफ से सिर्फ अर्जुन ही चक्रव्यूह वेदन की कला जानते हैं। लेकिन वे युद्ध क्षेत्र में अन्यत्र रहते हैं, जिस पर युधिष्ठर परेशान हो जाते हैं। तभी, वीर अभिमन्यु वहां आते हैं और पांडवों की तरफ से युद्ध में जाने की अनुमति मांगते हैं। अभिमन्यु, वीरता से युद्ध करते हुए सभी सात द्वारों पर खड़े महारथियों को पराजित कर देते हैं। लेकिन वे चक्रव्यह से बाहर आने की कला नहीं जानते, इसी दौरान कौरव योद्धा उनका छल से वध कर देते हैं। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप रावत, अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा, जिपं उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी, भाजपा मंडल अध्यक्ष गंभीर बिष्ट, पांडव लीला कमेटी के अध्यक्ष विक्रम पैलड़ा, ग्राम प्रधान दयाल सजवाण, लक्ष्मण रावत, शैलेंद्र कोटवाल, बृजमोहन सजवाण आदि मौजूद थे। उधर, जखोली ब्लॉक के जवाड़ी गांव में पंडवाणी गायन के साथ पांडव ढोल-दमाऊं की थाप पर नृत्य कर रहे हैं। आयोजन समिति के सुरेंद्र कप्रवाण ने बताया कि प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना के साथ पांडव नृत्य का आयोजन हो रहा है। पांडव नृत्य आयोजन को देखने के लिए दूर-दराज के गांवों के भक्तगणों के साथ ही ध्याणियां भी अपने मायके पहुंची हुई हैं। 

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