गोपेश्वर। चिपको आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं, पर्यावरणविद और प्रबुद्घजनों ने अब जंगलों को आग से बचाने के लिए पद यात्रा शुरू कर दी है। मंगलवार को पदयात्रा की शुरूआत उसी खल्ला गांव से हुई, जहां 50 साल पहले चिपको आंदोलन के प्रणेता पदमविभूषित चंडी प्रसाद भट्ट के नेतृत्व में चिपको आंदोलन की रणनीति तैयार की गई थी। चिपको आंदोलन की मातृ संस्था और सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र की ओर से चिपको के बाद यही पुकार, जंगल न जलने देंगे अबकी बार के संदेश के साथ वनाग्नि के खिलाफ जन जागरुकता के लिए चिपको के मातृ गांव खल्ला से पदयात्रा आयोजित की गई। पहले दिन पदयात्रा विभिन्न गांवों से होते हुए रात्रि प्रवास के लिए बछेर गांव पहुंची। खल्ला गांव में आयोजित गोष्ठी में चिपको नेता मुरारी लाल ने कहा कि यह वन आंदोलनों की जन्मभूमि रही है। विश्वव्यापी चिपको आंदोलन का सूत्रपात भी 50 साल पहले खल्ला गांव से ही हुआ था। चिपको के बाद अब वनाग्नि के खिलाफ जन जागरुकता अभियान की नितांत आवश्यकता महसूस की जा रही है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग की वन क्षेत्राधिकारी आरती मैठाणी ने कहा कि एकजुटता से ही वनाग्नि पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है। इस प्रकार की आपदाओं से सामूहिक प्रयासों और जन भागीदारी से ही निपटा जा सकता है। सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने जन जागरुकता पदयात्रा के दौरान स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों के साथ संवाद कर वनाग्नि के कारणों और उसके निदान पर चर्चा की जाएगी। जिससे हमारे वन आग की विपदा से सुरक्षित रह सकें। पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता मंगला कोठियाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी आम जन मानस को आगे आने की जरुरत है। आगामी सीजन में वनाग्नि के प्रभाव को कम करने के लिए हम सबको अपनी भागेदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन विनय सेमवाल ने किया। इस मौके पर मंगला कोठियाल, वीरेंद्र सिंह, रेखा देवी, मोहित सिंह, गौरव, गोविंद सिंह, वीरेंद्र सिंह, माया प्रसाद, महावीर सिंह, शेर सिंह, चिरंजी प्रसाद, माहेश्वरी देवी, उमा देवी, नंदा देवी, उमा देवी, रेखा देवी, उषा देवी, सावित्री देवी, शंकुतला देवी, सुनीता देवी ने भी जन जागरुकता अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।