रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में कर्मचारियों की मनमानी वहां भर्ती मरीजों पर भारी पड़ रही है। कर्मचारियों की मनमानी से लोगों में भी आक्रोश है। उनका कहना है कि डॉक्टर और स्टाफ के लोगों में आपसी तालमेल न होने से मरीजों और तीमारदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तिलवाड़ा क्षेत्र की एक महिला पांच दिनों से जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग में भर्ती थी, महिला को पेट में पथरी के दर्द की शिकायत थी। डॉक्टरों ने जांच कर शनिवार को ऑपरेशन करने की बात कही थी। महिला को जब ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया तो, एनस्थीसिया चिकित्सक ने हाथ खड़े दिए और डा. एश्वर्य हटवाल से बात करने को कहा। इसके बाद संबंधित चिकित्सक ने मरीज की रिपोर्ट देखने के बाद ऑपरेशन के लिए मना कर दिया और गुस्से में बाहर आकर कहा कि अपस्ताल स्टॉफ की ओर से मेडिकल रिपोर्ट में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। यहां तक कि ऑपरेशन को लेकर भी स्टॉफ का कोई कर्मचारी वहां नहीं था। आधी-अधूरी रिपोर्ट बनाकर मरीज को ऑपरेशन रुम में भेज दिया गया। जब महिला का कोई इलाज नहीं हो पाया तो तीमारदार की ओर से इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई, जिसके बाद जिलाधिकारी मनुज गोयल ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट तलब की, तब जाकर महिला का उपचार हो पाया। पूर्व में भी रूद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय में कई विवाद हो चुके हैं। तीन वर्ष पूर्व प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में अस्पताल में काफी विवाद हुआ था। एक वृद्ध महिला के ऑपरेशन में भी एक माह देरी की गई थी। साथ ही अल्ट्रासाउंड को लेकर रुपये लेने का भी कुछ दिन पूर्व मामला प्रकाश में आया है। जिला चिकित्सालय के प्रभारी सीएमएस डज्ञ. मनोज बडोनी का कहना है कि डॉक्टर की शिकायत सुनीं गई, जिसके बाद स्टॉफ को ऑपरेशन की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। अब महिला का सफल ऑपरेशन किया गया है। महिला का स्वास्थ्य भी सामान्य है। अस्पताल के डॉक्टर्स और स्टॉफ को आपसी तालमेल के साथ काम करने के निर्देश दिए गए हैं।