पोखरी तहसील में नहीं एसडीएम और तहसीलदार, बैरंग लौट जाते हैं तहसील के काम से आने वाले लोग–
पोखरी। चमोली जनपद की सबसे पुरानी तहसील में शामिल पोखरी तहसील बिना एसडीएम और तहलदार के चल रही है। भूमि व प्रमाण पत्र संबंधित मामलों को लेकर तहसील में पहुंचने वाले ग्रामीणों को कई बार बैरंग लौटना पड़ रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि राज्य बनने से पहले यहां नियमित अधिकारी तैनात रहते थे, लेकिन राज्य गठन के बाद यहां आते बाद में हैं पहले उनके जाने की तैयारी कर ली जाती है। २० सालों में यहां पर अधिकांश समय प्रभारी एसडीएम और तहसीलदार रहे हैं। वर्तमान में तहसीलदार का प्रभार कर्णप्रयाग के तहसीलदार के पास है, जबकि एसडीएम का प्रभार चमोली के एसडीएम देख रहे हैं। इससे लोगों के प्रमाण पत्र सहित कई जरूरी काम समय पर नहीं हो पाते हैं। क्योंकि प्रभारी अधिकारी यहां पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। कई बार लोगों को अपने काम कराने के लिए कर्णप्रयाग और चमोली की दौड़ लगानी पड़ती है। वहां भी अधिकारियों के बैठक या अन्य काम के चलते इधर-उधर जाने पर कई बार लोग बैरंग ही लौट आते हैं। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की है कि पोखरी तहसील में नियमित एसडीएम और तहसीलदार की तैनाती कराई जाए। पोखरी के नगर पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद पंत, ब्लॉक प्रमुख प्रीती भंडारी, ज्येष्ठ उपप्रमुख पूरण नेगी, कनिष्ठ उपप्रमुख जयकृत बिष्ट व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष महेन्द्र प्रकाश सेमवाल, ब्लाक अध्यक्ष मंगल सिंह नेगी, भाकपा स्टेंट काउंसिल नरेन्द्र रावत, प्रधान संगठन के ब्लाक अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह राणा, कुंवर सिंह खत्री, कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष कुंवर सिंह चौधरी और नगर अध्यक्ष संतोष चौधरी ने कहा कि कई बार शासन-प्रशासन से तहसील में नियमित अधिकारियों की तैनाती की मांग की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।