गोपेश्वर। शुक्रवार को नगर पालिका ने अपने बढ़े बकाएदारों की दुकानें सील कर दी। दिनभर चले घटनाक्रम में सुबह दुकानें सील की गई और दोपहर बाद दुकानें संचालित कर रहे व्यवसायियों के साथ नया अनुबंध कर दिया। यह कार्रवाई मात्र 24 घंटे के भीतर की गई। पालिका प्रशासन ने किराया जमा करने के लिए दुकानदारों को मात्र 24 घंटे का समय दिया गया था। शुक्रवार को जिस वक्त दुकानें सील हो रही थी, उस वक्त नगर को पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील किया गया था। सरकारी कार्रवाई का विरोध करने पर सात लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया, जिन्हें बाद में थाना चमोली में निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। नगर पालिका के ईओ अनिल पंत ने कहा कि वर्ष 2016 में नगर पालिका ने नगर में दुकानें व आवासीय कक्षों को आवंटित कर दिया था, लेकिन आवासों और दुकानों का लंबे समय से किराया नहीं दिया जा रहा था। दुकानों का लाखों का बकाया था। कई बार किराया जमा करने के लिए नोटिस भी दिया गया, लेकिन किराया जमा नहीं हुआ। कई सरकारी दुकानें स्वयं संचालित करने के बजाय किसी तीसरे व्यक्ति को उच्च किराए पर दी गई थी। जो कि नियम विरुद्घ है। जिस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित लोगों को 24 घंटे में किराया जमा करने की चेतावनी दी गई थी। लेकिन किराया जमा न होने पर शुक्रवार को दुकानों को सील करने की कार्रवाई की गई। दोपहर बाद नगर पालिका ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हीं लोगों को दुकानें आवंटित कर दी। जिससे व्यापारियों में उत्साह का माहौल है।
पालिका की कार्रवाई से भड़के व्यापार संघ अध्यक्ष अनूप पुरोहित(अंकोला पुरोहित) के साथ अन्य लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया। सभासद नवल भट्ट ने मामले में प्रशासन से बात करने की बात कही। उन्होंने सीधे दुकानों को सील न करने का आग्रह किया, लेकिन उनकी भी नहीं सुनीं गई। गुस्साए व्यापारियों ने मौके पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, जिस पर पुलिस प्रशासन की ओर से सरकारी कार्य में बाधा डालने पर तीन महिलाओं समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर दिया। बाद में उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। पालिका प्रशासन की इस कार्रवाई की दिनभर नगर में चर्चा रही। वहीं, विकास भवन के समीप कुछ पत्रकारों को भी आवास आवंटित हुए थे, उनका भी किराया जमा नहीं था। वहां भी सील की कार्रवाई की गई। पत्रकारों ने इस कार्रवाई की घोर निंदा की।