–पहाड़ के गांवों में ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक बंदरों और लंगूरों का आतंक बना हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों और लंगूरों के डर से कई काश्तकारों ने अपनी उपजाऊ भूमि को बंजर डाल दिया है, जबकि साग-सब्जी के खेतों को भी बंदर चट कर दे रहे हैं। इतना ही नहीं बंदरों के डर से ग्रामीण आम रास्तों से गुजरने में भी कतरा रहे हैं। ग्रामीणों ने धामी सरकार से इन जानवरों से निजात दिलाने की मांग की है।
बंदरों के आतंक से कई ग्रामीणों ने अपने उपजाऊ खेतों को जोतना ही छोड़ दिया है। बंदर खेतों में फसलों को तो घरों में खाद्य सामग्री को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बंदरों से निजात दिलाने के लिए सरकार को कारगर योजना बनानी चाहिए। बंदर अब घरों के अंदर आने से भी नहीं डर रहे हैं।
बच्चों के हाथों से रोटी भी छीनकर ले जा रहे हैं। फल-सब्जी के साथ ही पौधों को बंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रतिवर्ष बंदरों की तादात बढ़ती जा रही है। महिला मंगल दल अध्यक्ष माहेश्वरी देवी, कुसुम, शशिकला और सतेश्वरी देवी का कहना है कि धामी सरकार से एक ही मांग है कि बंदरों के आतंक से मुक्ति दी जाए। महिलाओं का खेतों में जाना भी मुश्किल हो गया है। बंदरों के साथ ही अब लंगूर भी गांवों में पहुंच गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार वन विभाग से इन्हें पिंजरे में कैद करने की मांग की गई, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।