चमोली के मंडल घाटी में है ऑर्किड का खजाना, उत्तर भारत का पहले ऑर्किड पार्क का हुआ शुभारंभ-

by | Jul 30, 2021 | चमोली, स्वरोजगार | 0 comments

 गोपेश्वर। उत्तर भारत के पहले ऑर्किड पार्क का उदघाटन शुक्रवार को मंडल घाटी के खल्ला गांव में हुआ। बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक डॉ एस के सिंह और वन शोध शाखा के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने संयुक्त रुप से पार्क का शुभारंभ किया। देश के प्रख्यात ऑर्किड विशेषज्ञ डा. एसके सिंह ने कहा कि मंडल घाटी ऑर्किड का खजाना है। यह स्वरोजगार का मजबूत जरिया भी है। ऑर्किड जहां अपनी नैसर्गिक छटा तथा सुरम्यता के लिए प्रसिद्ध है, वहीं यह विश्व मानचित्र में बहुमूल्य ऑर्किडों की समृधता के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। आर्किडों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मंडल घाटी में अभी तक ऑर्किड की 48 प्रजातियां खोजी गई हैं। ऑर्किड वनस्पति जगत का सुंदर पुष्प है जो अपने विशिष्ट औषधीय गुणों के साथ ही अपने अदभुत रंग-रूप, आकार एवं आकृति तथा लंबे समय तक ताज़ा बने रहने की गुण के कारण अंतर्राष्ट्रीय पुष्प बाज़ार में विशेष स्थान रखता है। प्राचीन काल से ही ऑर्किड की चार प्रजातियों जीवक, ऋषभक, रिद्धि और वृद्धि का अष्टवर्ग के रूप में च्यवनप्राश में तथा इसकी कई अन्य प्रजातियों का उपयोग विभिन्न कई असाध्य रोगों में किया जाता रहा है। इसी क्रम में आगे उन्होंने बताया कि यदि इनका संरक्षण उचित ढंग से किया जाय तो यह स्वरोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है। इनकी अधिकतर कई प्रजातियों के फूल कई दिनों से लेकर कई महीनों तक खराब नहीं होते हैं। जो वैश्विक बाजार में भारी माँग होने के चलते काफी महंगे दामों पर विकते है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वन संरक्षक वन अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने पार्क के निर्माण में ग्रामीणों के अभुतपूर्व सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में आर्किड़ों के संरक्षण मे जन सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ ही इसे स्वारोजगारोन्मुखी बनाना भी है। इससे जहां स्थानीय स्तर पर कृषिकरण के जरिये आय के नए स्रोत विकसित किए जा सकेंगे वहीं स्थानीय युवाओं को आर्किड से जुड़े ज्ञान को विकसित करने की प्रेरणा मिलने से आर्किड के बारे में जानकारी के लिए उत्सुक रहने वाले पर्यटकों के लिए बेहतर प्रदर्शक की भूमिका में रोजगार प्राप्त करने का साधन बनाया जा सकता है। ऑर्किड सोसाइटी के माध्यम से प्रथम चरण में ऑर्किड संरक्षण  को स्वारोजगार के रूप में अपनाने के इच्छुक युवाओं को एक्सपोजर विजिट कराने के पश्चात तकनीकी प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही संसाधन भी उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि देश में ऑर्किड की कुल 1,256 प्रजातियां हैं। इनमें 388 प्रजातियां खतरे की जद में हैं।जबकि उत्तराखंड में ऑर्किड की 238 प्रजातियां है।प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण मंडल घाटी  में अभी तक  इसकी 48 प्रजातियां पायी गयी  है। इस मौके पर शोध शाखा के रेंजर हरीश नेगी, सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट, मनोज नेगी, मंगला कोठियाल, वन सरपंच गोविंद बिष्ट, ग्राम प्रधान अरविंद विष्ट, वीरेंद्र विष्ट, मनवरसिंह बिष्ट मनवरसिंह नेगी, वीरेंद्र सिंह नेगी, रेखा देवी, सत्येश्वरी देवी, लता देवी, शंकुन्तला देवी, हेमा देवी, मायाराम, पुष्कर सिंह, बलवीर सिंह, मदन लाल, जसपाल लाल, किशन लाल जयनंद सहित मंडल घाटी के कई लोग मौजूद थे। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन विनय सेमवाल ने किया। इस दौरान स्थानीय लोगों ने भी ऑर्किड पार्क का भ्रमण किया और इसके संरक्षण का संकल्प लिया। 

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