पहली बार सतोपंथ में सुनाई दी घोड़े-खच्चरों की चापू..

by | Jun 11, 2022 | आस्था, चमोली | 0 comments

प्राकृतिक सौंदर्य को देख अभिभूत हो उठे जापानी, जानें, क्या है सतोपंथ का धार्मिक महत्व– 
चमोलीः जापान से पर्यटकों का आठ सदस्यीय दल सतोपंथ जा पहुंचा। सतोपंथ के प्राकृतिक सौंदर्य को देख पर्यटक ‌अभिभूत हो उठे। यह वहीं स्थान है, जहां से पांच भाई पांडव स्वर्ग के लिए गए थे। 
समुद्रतल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सतोपंथ झील में आठ सदस्य जापानी दल घोड़े खच्चरों के साथ पहुंचा। पहली बाद सतोपंथ में घोड़े-खच्चरों की चापू सुनाई दी। आज से पहले कभी भी कोई भी पर्यटक दल यहां घोड़े खच्चर से नहीं पहुँच पाया है। सभी यात्री और पर्यटक पैदल ही यहां ट्रैकिंग कर पहुंचते हैं। पर्यटक सतोपंथ में आध्या‌त्मिक शांति के लिए पहुंचते हैं। सतोपंथ का मौसम बेहद रोमांचक और मन-मस्तिष्क को सुकून पहुंचाने वाला होता है। यहां ज्यादातर साधु संत और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के ही श्रद्घालु यात्रा करते हैं। 

बतातें हैं कि महाभारत में पांडव इसी रास्ते स्वर्ग गए थे। यह झील प्राकृतिक झीलों में से एक है। धार्मिक लिहाज के साथ ही प्राकृतिक सौंदय के वजह से विश्व के पर्यटन मानचित्र में यह झील दर्ज है। धार्मिक मान्यता है कि इस पांच तिकोने वाली झील में एकादशी के दिन त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु महेश स्नान करते हैं। जापानी पर्यटक जब यहां पहुंचे तो बकौल पर्यटक दुनिया का यह इकलौता स्थान है जहां पर हमें ईश्वर का अहसास होता है। यह दुनिया के लिए आध्यात्मिक शांति का केंद्र है।

यहां पर भगवान का ध्यान और योग किया। हमने इस स्थान के बारे में सिर्फ सुना था, जब यहां पहुंचे तो इस स्थान का करीब से एहसास हुआ। ग्रुप लीडर ग्रांट एडवेंचर जोशीमठ राजेंद्र मर्तोलिया और गाइड दिनेश का कहना है कि यह आठ सदस्यीय दल कोरोना काल के बाद पहली बार सतोपंथ सरोवर पहुंचा। दल ने यहां विश्व जन कल्याण हेतु हवन यज्ञ भी किया। 

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