मलारी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंटकर भोटिया जनजाति के ग्रामीणों ने उठाई यह सदियों पुरानी मांग–
गोपेश्वर। चमोली जनपद में मौजूद समय में दस से पंद्रह हजार भोटिया जनजाति के ग्रामीण निवास करते हैं। ये ग्रामीण ग्रीष्मकाल में सीमा क्षेत्र के गांवों में निवास करते हैं, जबकि शीतकाल में जनपद के निचले क्षेत्रों में निवास करते हैं। इन शीतकालीन निवास स्थलों को भोटिया पड़ाव कहा जाता है। इन पड़ावों में ग्रामीण निवास तो करते हैं, लेकिन आज तक उन्हें इसके स्वामित्व का लाभ नहीं मिल पाया है। बुधवार को मलारी में हर घर तिरंगा कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मुख जब ग्रामीणों ने यह मांग प्रमुखता से रखी तो मुख्यमंत्री ने इस मामले में राजस्व विभाग से बात कर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। ग्रामीणों को मुख्यमंत्री के सकारात्मक रुख से अब उम्मीद की किरण जगी है।
शीतकाल में भोटिया जनजाति के ग्रामीण जिले के निचले क्षेत्र पाखी, गडोरा, बिरही, कौड़िया, छिनका, भीमतला, नैग्वाड़, घिंघराण, तेफना, मैठाणा, नंदप्रयाग, थिरपाक, सेलवाणी, सिरोखोमा, घाट, देवलीबगड़ और कालेश्वर में निवास करते हैं। भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष व कागा गांव के ग्राम प्रधान पुष्कर सिंह राणा ने बताया कि ग्रामीण शीतकालीन प्रवास स्थलों में भारत-तिब्बत व्यापार के समय से ही निवास करते हैं। लंबा समय होने के बावजूद भी आज तक ग्रामीणों को प्रवास स्थल का स्वामित्व नहीं मिल पाया है। अब मुख्यमंत्री के इस मामले में सकारात्मक कार्रवाई के आश्वासन के बाद अब ग्रामीणों को अपनी मांग पूरी होने की उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि नीती और माणा घाटी के गांव द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांव के रुप में जाने जाते हैं। लेकिन आज भी ग्रामीण कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।