हाट गांव के प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंचे शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, पूजा-अर्चना की, कहा 1000 साल पुराने मंदिर का संरक्षण हम सबका दायित्व–
पीपलकोटीः ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज बुधवार को ज्योतिर्मठ से हाट गांव के प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर में पहुंचे। शंकराचार्य ने मंदिर में पूजा-अर्चना की।
उन्होंने मंदिर को एतिहासिकता, पुरातात्विक, धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्म का केंद्र बताया। कहा कि यह मंदिर 1000 साल पुराना है। आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी। उन्हेंने कहा कि परियोजना कंपनी को हाट गांव के प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर से कोई छेड़छाड़ नहीं करने दी जाएगी।
कंपनी कहीं अन्य जगह परियोजना कार्य करें। परियोजना कंपनी (टीएचडीसी) को मंदिर से छेड़छाड़ का विचार ही त्याग देना चाहिए। यदि कंपनी हठधर्मिता से कार्य करती है तो हमें भी आगे कदम उठाने होंगे। जरुरत पड़ी तो ज्योतिर्मठ के कुछ संतों को लक्ष्मी नारायण मंदिर की रक्षा के लिए रखा जाएगा। शंकराचार्य ने कहा कि परियोजना के लिए धारी देवी को उठाया गया, जिसके बाद लोगों ने केदारनाथ आपदा झेली, अब एक और आपदा को झेलने के लिए कोई तैयार नहीं है।
भगवान के स्थान को परिवर्तित करना आपदा को निमंत्रण देना है। परियोजना कंपनी की ओर से मंदिर के इर्द-गिर्द मलबे के पहाड़ खड़े कर दिए गए हैं, जो कि गलत है। ग्राम प्रधान राजेंद्र हटवाल ने मंदिर और परियोजना से संबंधित फाइल भी शंकराचार्य को सौंपी।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा कि हाट गांव के लक्ष्मी नारायण मंदिर की धार्मिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, एतिहासिक और पुरातात्विक महत्व को यथावत रखा जाएगा। इससे पूर्व हाट गांव की महिलाओं ने भव्य जल कलश यात्रा का आयोजन भी किया। इस मौके पर ब्रह्मचारी मुकुंदानंद जी महाराज, ग्राम प्रधान राजेंद्र हटवाल, नरेंद्र पोखरियाल, अनिरुद्र, नरेंद्र हटवाल, बच्ची देवी, कुसुम हटवाल, पंडित तारेंद्र जोशी आदि मौजूद रहे।