आपदाः अब क्या बरसात का इंतजार कर रहा सिंचाई विभाग–

by | Mar 16, 2023 | आपदा, चमोली | 0 comments

टेंडर प्रक्रिया के बाद गहरी नींद में सोए विभाग के अधिकारी, डर के साए में जी रहे हल्दापानी के आपदा प्रभावित– 

गोपेश्वरः ढाई माह पहले टेंडर प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद चमोली में राजकीय सिंचाई विभाग के अधिकारी गहरी नींद में सो गए हैं। इन्हें न आपदा प्रभावितों की सुरक्षा की फिक्र है और ना ही शासन-प्रशासन का डर। जबकि नगर के हल्दापानी में विकास नगर मोहल्ले में अभी भी भूस्खलन जारी है। लोग रात को सो नहीं पा रहे हैं। थोड़ी बारिश होने पर भी लोग जागकर रात काट रहे हैं। शासन ने यहां भूस्खलन के ट्रीटमेंट के लिए नवंबर माह में 30 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी थी, लेकिन विभागीय अधिकारी यहां ट्रीटमेंट में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 

पूछे जाने पर सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सुधीर कुमार ने बतया कि बीते 28 दिसंबर को भूस्खलन के सुधारीकरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरु की गई। लेकिन चार में से तीन ठेकेदारों के अधूरे आवेदन के चलते वे निरस्त हो गए। एक ठेकेदार का आवेदन सही पाए जाने पर ‌विभाग ने उसे शासन को भेज दिया है,

शासन से निर्देश प्राप्त होने के बाद ही भूस्खलन का सुधारीकरण कार्य शुरु किया जाएगा। अधिकारियों ने सीधे-सीधे गेंद शासन के पाले में डाल दी है। आपदा प्रभावित डा. यदुनंदन भट्ट ने कहा कि भूस्खलन से लोग डरे हुए हैं। लोगों की रातों की नीदं उड़ी हुई है। उन्होंने शासन-प्रशासन से शीघ्र क्षेत्र के ट्रीटमेंट कार्य को शुरु करवाने की मांग की है। 

हमारी टीम ने जब प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया तो लोग आपदा से डरे हुए हैं। अनीता रतूड़ी ने कहा कि तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारी कई बार भूस्खलन क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं, लेकिन अभी भी यहां सुधारीकरण कार्य शुरु नहीं हो पाया है। अब कुछ ही महिनों में बरसात शुरु हो जाएगी, भूस्खलन से आंगन पूरी तरह से ध्वस्त पड़ा है, जिससे यहां रहने में भी डर लग रहा है। अपनी जिंदगीभर की पूंजी लगाकर यहां पांच कमरों का मकान बनाया है,

अब खतरे के साए में जीने को मजबूर हैं। सुरेंद्र सिंह भंडारी का कहना है कि लगातार भूस्खलन होने से डर सता रहा है। कई मकानें रहने लायक नहीं हैं। विमला बिजल्वाण ने बताया कि अपनी जिंदगीभर की मेहनत की कमाई से मकान बनाया। वर्ष 2017 में पति की मृत्यु हो गई। जिससे परिवार की जिम्मेदारी मेरे कंधे पर आ गई। अब मकान भूस्खलन के मुहाने पर आ गया है। हम कहां जाएं, कुछ समय में नहीं आ रहा है।

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