रविग्राम (उर्गम)। सरकारी स्तर पर पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा देने को लेकर पर्यटन क्षेत्र बढ़ाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। उत्तराखंड में आर्थिकी का मजबूत जरिया पर्यटन ही है, लेकिन सरकारी दावों की पोल खोलते कई पर्यटन स्थल आज भी यहां मौजूद हैं। इनमें शामिल है भारत-तिब्बत (चीन) सीमा से लगी उर्गम घाटी। यह घाटी न केवल पर्यटन के लिए जानी जाती है, बल्कि तीर्थाटन के लिए भी यह घाटी विख्यात है। यहां सुरम्य बुग्याल, प्राकृतिक झरने, संरक्षित जंगल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उर्गम घाटी तीर्थाटन का भी भंडार है। उर्गम घाटी में प्रवेश करते ही मन आनंदित हो जाता है। पंचकेदारों में अंतिम केदार कल्पेश्वर, भगवान विष्णु के परम धाम फ्यूंलानारायण व वंशीनारायण जैसे तीर्थस्थल यहां मौजूद हैं।लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को सरकारी उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। उर्गम घाटी के लिए बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग नामक स्थान से यातायात सुविधा उपलब्ध है। परंतु शुरूआत से ही सड़क बदहाल स्थिति में है। कई पर्यटक सड़क की स्थिति को देखते ही यहां से वापस लौट रहे हैं। सड़क ही इस घाटी के लिए अभिशाप बनी हुई है। हेलंग से उर्गम (बड़गिंडा) तक सड़क पर बडे़े बड़े गड्ढे, क्षतिग्रस्त दीवारें और सड़क के बीचोंबीच बह रहे गदेरे सड़क की बदहाल स्थिति को बयां कर रहे हैं। सड़क पर नाली कहीं है ही नहीं। जिससे बरसाती पानी सड़क के बीचोंबीच तालाब का रूप धारण कर सड़क को बर्बाद कर रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का एलान किया है। अब उर्गम सड़क के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। स्थानीय जनप्रतिनिधि लक्ष्मण सिंह नेगी, ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष अनूप नेगी का कहना है कि हेलंग-उर्गम मोटर मार्ग की दशा सुधार जाए तो यहां देशी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लग सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से हेलंग-उर्गम सड़क के चौड़ीकरण, सुधारीकरण व डामरीकरण की मांग उठाई है।