जोशीमठ। भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला जोशीमठ-मलारी हाईवे पांच दिन से ठप पड़ा हुआ है। नीती घाटी में ग्रामीणों की जिंदगी ठहर सी गई है। बुधवार को एनडीआरएफ की टीम ने धौली गंगा के रास्ते नाव से ग्रामीणों को निकालने की योजना बनाई, लेकिन गंगा की तेज लहरों में नाव नहीं चली। जिसके बाद अब एनडीआरएफ की टीम चट्टान से भूस्खलन रूकने का इंतजार कर रही हैं। प्रशासन अब हेलीकॉप्टर से नीती घाटी में राशन व अन्य सामग्री पहुंचाने की योजना बना रही है। 14 अगस्त से चट्टान से भूस्खलन होने के कारण सड़क बंद पड़ी हुई है। लगातार भूस्खलन होने से हाईवे को अभी तक खोला नहीं जा सका है। बीआरओ की दो जेसीबी मशीनें भी वहां खड़ी हैं। लेकिन कुछ काम नहीं हो पा रहा है। चट्टान से पत्थरों की बरसात हो रही है। जान जोखिम में डालकर नीती घाटी से दो ग्रामीण सुरांईथोटा की ओर पहुंचे। उन्होंने बताया कि घाटी में ग्रामीणों के पास राशन कम ही बचा है। बिजली और फोन सुविधा भी ठप पड़ने से ग्रामीणों के सम्मुख परेशानियों का पहाड़ टूट आया है। जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी ने बताया कि नीती घाटी में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई के लिए हेली सेवा की व्यवस्था की जा रही है। घाटी में विद्युत व संचार सेवा की सप्लाई को भी सुचारू करने का प्रयास किया जा रहा है। वैकल्पिक रास्ता बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।