चमोली जनपद के उर्गम घाटी में स्थित है वंशीनारायण मंदिर, भक्तों ने अर्पित किया भोग–
जोशीमठ: उर्गम घाटी के सुदूर बुग्याल क्षेत्र में स्थित वंशीनारायण मंदिर के कपाट सालभर में सिर्फ रक्षाबंधन पर्व पर ही खुलते हैं। बुधवार को भक्तों ने विधि विधान से मंदिर के दरवाजे खोले और मंदिर में पूजा अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाया। जिसमें क्षेत्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में मौजूद रहे। शाम को विधिवत पूजा-अर्चना के साथ मंदिर के कपाट फिर से बंद कर दिए गए।
उर्गम गांव से छह किमी दूर उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित भगवान वंशीनारायण मंदिर के कपाट हर साल रक्षाबंधन पर एक दिन के लिए खोले जाते हैं। इसी दिन क्षेत्र के लोग भगवान के दर्शन करते हैं। मंदिर में मुख्य रूप से डुमक व कलगोठ गांव के ग्रामीण पूजा अर्चना करते हैं। जबकि आसपास के ग्रामीण भी भगवान के दर्शन करने व पूजा अर्चना करने मंदिर में पहुंचते हैं।
वंशी नारायण मंदिर साल में सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खुलता है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है। इस कहानी के मुताबिक राजा बलि का अहंकार चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। तीन पग की जमीन मांगकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक तो भेज दिया लेकिन बलि ने उन्हें दिन-रात अपने साथ रहने के वचन में बांध लिया।
जब कई वर्षों तक भगवान नारायण नहीं मिले तो माता लक्ष्मी व्याकुल हो गई। महर्षि नारद ने मां लक्ष्मी को पाताल लोक का वृतांत सुनाया। तब माता लक्ष्मी पाताल लोक गई, और राजा बलि के हाथ में रक्षा सूत्र बांधा। तब राजा बलि से वरदान मांगने को कहा। मां ने अपने पति विष्णु भगवान को मुक्ति करने का वरदान मांगा। यही वजह है वंशीनारायण मंदिर रक्षाबंधन के दिन खुलता है।