पूर्व विधायक की भाजपा में वापसी पर कड़ाके की ठंड में चढ़ा राजनीति का पारा, मेयर के टिकट पर बढ़ी धुकधुकी–
कोटद्वार: भारतीय जनता पार्टी फिर मजबूत हुई है। पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत की भाजपा में घर वापसी ने कड़ाके की ठंड में कोटद्वार की राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है। शैलेंद्र रावत की भाजपा में वापसी से कोटद्वार में मेयर के टिकट की आस लगाए नेताओं की धुकधुकी भी बढ़ गई है। शैलेंद्र रावत 2017 और 2022 में यमकेश्वर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब भाजपा में उनकी घर वापसी ने राजनीति में गर्माहट पैदा कर दी है।
वर्ष 2003 में दुगड्डा के ब्लॉक प्रमुख बने शैलेंद्र रावत भाजपा के टिकट पर 2007 में कोटद्वार से विधायक चुने गए। तब कांग्रेस के बड़े नेता माने जाने वाले सुरेंद्र सिंह नेगी को उन्होंने शिकस्त दी थी। उसके बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के दिग्गज जनरल बीसी खंडूरी को कोटद्वार से टिकट मिला लेकिन कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी ने खंडूरी को हरा दिया। हार का ठीकरा शैलेंद्र रावत पर फूटा और भाजपा ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। हालांकि 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी भाजपा में वापसी हुई लेकिन इसके बाद 2017 में भाजपा ने टिकट नहीं दिया। जिससे नाराज शैलेंद्र रावत ने कांग्रेस के टिकट पर यमकेश्वर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2022 का चुनाव भी यमकेश्वर से ही लड़े लेकिन फिर पराजित हुए। तब से शैलेन्द्र रावत राजनीति में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे थे।