लाइसेंस न मिलने से मायूस होकर लौटने लगे चमोली के घोड़ा-खच्चर संचालक, जेब के पैसे भी हुए समाप्त–
गोपेश्वर: पिछले कई वर्षों से चमोली जनपद के जोशीमठ, उर्गम, निजमुला, नंदानगर क्षेत्र से बड़ी संख्या में घोड़ा-खच्चर संचालक केदारनाथ यात्रा मार्ग पर तीर्थयात्रियों को अपनी सेवाएं देते थे, लेकिन आज चमोली के घोड़ा-खच्चर संचालकों के साथ सोनप्रयाग और गौरीकुंड में सौतेला व्यवहार हो रहा है। केदारनाथ यात्रा को शुरु हुए एक सप्ताह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी भी चमोली के ग्रामीण घोड़ा-खच्चरों के संचालन के लिए लाइसेंस के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
चमोली के इन भोले भाले ग्रामीणों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। कई घोड़ा खच्चर संचालकों की जेब का पैसा भी समाप्त हो गया है, जिससे वे अब बैरंग लौटने लगे हैं। घोड़ा-खच्चरों को चना खिलाने तक के लिए पैसे जुटाने मुश्किल बना हुआ है। निजमुला घाटी के सैंजी वार्ड से जिला पंचायत प्रतिनिधि भरत सिंह राणा, कमल सिंह पंवार, विरेंद्र सिंह बिष्ट, गुड्डू सिंह बिष्ट, अमित सिंह, दीपक सिंह चौहान और भोला सजवाण का कहना है कि यहां चमोली के 4500 से 5000 तक घोड़े-खच्चर पहुंचे हुए हैं।
लेकिन लाइसेंस न मिलने के कारण ग्रामीणों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। कई ग्रामीण अपने घोड़ा-खच्चरों को लेकर वापस आ गए हैं। उन्होंने चमोली और रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन से लाइसेंस दिए जाने की मांग उठाई है। कहा गया कि ग्रामीण अपने परिवार का लालन-पालन इन्हीं घोड़े-खच्चरों से करते हैं।