बदरीनाथ धाम देता है अनेकता में एकता का संदेश, पढ़ें क्या है बदरीनाथ धाम में घृत कंबल की परंपरा–
बदरीनाथ, 05 मई 2025: बदरीनाथ धाम अनेकता में एकता का संदेश भी देता है। यहां एक धार्मिक परंपरा का निर्वहन होता है, जिसमें देश की खुशहाली का राज छिपा होता है। बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाते हैं, और ग्रीष्मकाल में छह माह के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए खुल जाते हैं। बदरीनाथ के कपाट बंद होने के दिन देश के प्रथम गांव माणा की महिलाओं द्वारा एक ऊनी कंबल विशेष रूप से तैयार किया जात है,
इस कंबल पर घी का लेप किया जाता है, जिसे बदरीनाथ की शालिग्राम मूर्ति पर लपेट दिया जाता है। धाम के कपाट खुलने के बाद इस कंबल को विधिवतरुप से रावल निकालते हैं और उसे प्रसाद के रुप में श्रद्धालुओं को वितरित कर दिया जाता है।
बताते हैं कि जिस वर्ष कंबल पर लगा घी का लेप ताजा रहता है, उस वर्ष देश में वर्षभर खुशहाली का माहौल रहता है। जब घी सूख जाता है तो देश सूखा, आपदा और रोग, व्याधि से ग्रसित रहता है।
बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल रविवार को धाम के कपाट खुलने के बाद घृत कंबल लेकर बाहर आए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कंबल पूरी तरह से सरसब्त था। यानि घी ताजा था, जिससे देश में खुशहाली रहेगी और देश की व्यवस्था बेहतर चलेगी।