जोशीमठ तहसील प्रशासन ने दी अनुमति, मजबूत सूचना तंत्र का काम भी करते हैं चरवाहे–
चमोलीः प्रतिवर्ष चमोली जनपद के साथ ही अन्य जनपदों के भेड़-बकरी पालक उच्च हिमालय क्षेत्रों में अपनी भेड़-बकरियों को चरान के लिए ले जाते हैं। इसके लिए पहले जोशीमठ तहसील प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है। इस बार तहसील की ओर से भली-भांति परीक्षण के बाद 209 चरवाहों को चीन सीमा क्षेत्र और उच्च हिमालय क्षेत्रों में जाने की अनुमति दी गई है। एक भेड़ पालक के साथ 800 से 1000 भेड़-बकरियों के चरान का जिम्मा रहता है।
जून से अक्टूबर माह तक ये चरवाहे अपनी भेड़-बकरियों के साथ बुग्यालों में रहते हैं। ठंड बढ़ने पर ये निचले क्षेत्रों की ओर लौट जाते हैं। चरवाहे अपने खाने-पीने का सामान भी एकसाथ अपनी पीठ पर लादकर बुग्यालों में ले जाते हैं। कई भेड़-बकरियां बुग्यालों में ही प्रसव होकर बच्चों को जन्म देते हैं, जिससे लौटते वक्त भेड़-बकरियों की संख्या भी बढ़ जाती है। चमोली जनपद में मौजूदा समय में 75417 भेड़ और 96861 बकरियां हैं।
भेड़ पालक प्रतिवर्ष अपने भेड़-बकरियों को चरान के लिए उच्च हिमालय क्षेत्रों में ले जाते हैं। ये चरवाहे सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना के लिए सूचना तंत्र का काम भी करते हैं। सीमा क्षेत्र के गांवों को द्वितीय रक्षा पंक्ति के गांव भी कहा जाता है। जब चरवाहे सीमा क्षेत्र में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी भेड़ बकरियों के साथ पहुंचते हैं तो वे सीमा पार की गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखते हैं। वर्ष 2015 में बाड़ाहोती क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने भारतीय चरवाहों की खाद्य सामग्री को ही नष्ट कर दिया था और उन्हें लौट जाने के लिए कहा था, बावजूद इसके चरवाहे बिना डरे अपनी भेड़-बकरियों को लेकर प्रतिवर्ष सीमा क्षेत्र में पहुंचते हैं।