नंदानगरः पारंपरिक कृषि के साथ जड़ी बूटी की खेती भी अपनाएं– 

by | Aug 1, 2022 | चमोली, पर्यावरण | 0 comments

एचएनबी की ओर से क्षेत्र के गांवों में बांटे जड़ी बूटी के एक लाख पौधे– 

नंदानगरः हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यीकी शोध केंद्र (हैप्रेक) की ओर से क्षेत्र के विभिन्न गांवों में जड़ी-बूटी के पौधे बांटे गए। इस दौरान हैप्रेक के वैज्ञानिक डा. विजय कांत पुरोहित ने कहा कि किसान अगर पारंपरिक खेती के साथ जड़ी बूटी की खेती को भी करते हैं तो निश्चित तौर पर उनकी आय में बढौतरी होगी।

हैप्रेक की ओर से नंदानगर क्षेत्र के सितेल गांव में राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड द्वारा हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थापित सुगमता केंद्र के सहयोग से प्रशिक्षण और पौध वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें किसानों को सतुआ, जटामासी और कुटकी की खेती की तकनीकी जानकारी दी गई। हैप्रेक की ओर से नंदानगर के गांवों में सतुआ, मांसी और कुटकी के करीब एक लाख पौधे बांटे गए। जिसमें 25 हजार पौधे कार्यक्रम के दौरान किसानों को दिए गए।

कार्यक्रम में काश्तकार पुष्कर सिंह, हैप्रेक के शोधार्थी प्रदीप डोभाल, जयदेव चौहान, कमलेश कांडपाल, अजय हेमदान के अलावा सितेल, पडेर सहित आसपास के गांवों के लोग मौजूद रहे। ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्घन के लिए प्रेरित किया गया। 

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