100 से अधिक सालों की धार्मिक परंपरा फिर से की शुरू–
बदरीनाथः ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज शनिवार को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर बदरीनाथ धाम में मौजूद रहे। प्राचीन धार्मिक परंपरा है कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने और बंद होने पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य भी मौजूद रहते हैं,
लेकिन अधिकांश समय शंकराचार्य के मठ से बाहर रहने पर कभी भी इस परंपरा का निर्वहन नहीं होता था। इस वर्ष 100 से अधिक वर्षों की धार्मिक परंपरा को जीवित कर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर मौजूद रहने के लिए शुक्रवार को ही धाम में पहुंच गए थे।
वे रविवार को बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल व अपने शिष्यों के साथ योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर भी जाएंगे।